रविवार, 2 अगस्त 2009

अदृश्य शक्ति (समापन किस्त )

ओबामा की उमरानाला यात्रा की घड़ी जैसे जैसे समीप आ रही थी । वैसे वैसे प्रशासन की सक्रियता भी बढ़ने लगी । ओबामा की उमरानाला विज़िट के मद्देनज़र एक रूपरेखा समिति बनाई गई । चूँकि समिति का नाम रूपरेखा समिति था । इसलिए गाँव की सरपंच रेखा बाई को सर्वसम्मति से इसका अध्यक्ष का नियुक्त कर दिया गया । वैसे रेखा बाई इससमिति की बैठकों में एक बार भी नही बैठी .. वो पूरे समय चुनाव प्रचार में ही रही । हमारे देश की परम्परा है अक्सर हमारे देश में लोगो के नाम से ही काम हो जाता है ।
बहरहाल , शनिवार की शाम समिति की अति महतवपूर्ण बैठकहोनी थी । इसमें प्रशासन के लोगो के साथ गाँव के गणमान्य लोगो को भी बुलाया गया । ये एक उच्चस्तरीय बैठक थी ..जिसका एजेंडा ओबामा के कार्यक्रम को अन्तिम रूप देना था ...तैयारियों का जायजा लेना था । इसउच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता क्षेत्र के कमिश्नर कर रहे थे । इसमें पुलिस महकमें का एक छत्र राज था । हमारेदेश की एक और परम्परा है "यहाँ उच्चस्तरीय बैठकों को निम्नस्तरीय होने में पल भर भी नही लगता "
अग्रेजों के ज़माने का बना रेस्ट हाउस पुलिस चौकी के पास ही है । सो कमिश्नर साहब काडेरा भी यहीं था । उन्हें बैठक में बुलाने के लिए नए रंगरूटों के दल बाल को भेजा गया । धारी वाली झंगोला अंडरवेअर में कमिश्नर साहब संध्या कालीन पूजा में लीन थे । नए रंगरूटों के लिए उन्हें धारी वाले अंडरवियर में देखनाएक सुखद अनुभव था । वे मन ही मन महकमे के बड़े साहब की आरती उतरने में लीन हो गए ...साहब की आरतीभी पूरी हो चुकी थी ..बस चाय पीकर पहुँचता हूँ ...सलामी की आवाजे ..जी साहब ! सावधान विश्राम ....कर रंगरूटचौकी में आ गए ।
शाम के मधुरिम वातावरण में बैठक शुरू हो गई । साहब जी वो घीसू कह रहा था ...शेक्सपीअर ने कभी सेक्स किया या नही ? " कमिश्नर साहब ने लम्बी साँस लेकर कहा ...शेक्सपीअर कापता नही लेकिन हमने अपनी लम्बी नौकरी में जो भी काम किया उसमें बस सेक्स ही सेक्स किया जबभी हमें जो काम सौपा गया हमने उसके साथ सेक्स ही किया वाह वाह से महकमे के लोग साहबजी को अभिभूतकरने लगे चलों अब ओबामा के कार्यक्रम के साथ भी सेक्स कर लिया जाए ...
ओबामा के कार्यक्रम को अन्तिम रूप दे दिया गयास्कूल के बच्चों के कार्यक्रम होंगे ( ये भी हमारी परम्परा ही है किसी भी कार्यक्रम चाहे वो राजनैतिक हो या गैरराजनीतिक भीड़ बढ़ाने के लिए स्कूल के बच्चे हमारे देश में सहज और सदैव उपलब्ध रहते हैं ) । गणमान्य नागरिको द्वारा उनका सम्मान ..स्वागत स्थल पर में महापुरुषों कीमूर्तियों पर माल्यार्पण ,ओबामा का भाषण .. आदि आदि । ओबामा उमरानाला आ रहा है ...ये गाँव के लोगो के लिएसम्मान की बात है ..उन्होंने गांववासियों से प्रशासन को पूरा सहयोग देने की अपील की । गौरतलब है इस बैठक मेंगाँव के छटे बदमाशों को भी बुलाया गया था उनको साहबजी ने हिदायत दी की इस दौरान कोई भी वारदात न करेपुलिस की नाक आन बान शान गाँव के बदमाशो के हा में थी
इधर ओबामा के आगमन की तैयारी हो रहीथी उधर अमेरिका की खुफिया एजेन्सी गुप्तचर "अदृश्य शक्ति" को लेकर परेशान थे । राधेश्याम भी पिछले कईदिनों से अदृश्य शक्ति को लेकर परेशान था उसे ख्वाब में भी अदृश्य शक्ति परेशान कर रही थी ।
अचानक ओबामा ओबामा $$$ अदृश्य शक्ति अदृश्य शक्ति $$$ वो चीख के नींद से उठ गया ।तो ये सपना थालेकिन अदृश्य शक्ति का सवाल सारा दिन राधेश्याम को परेशान करता रहा । रोज़ की तरह सारा दिन वो चुनावप्रचार की कांव कांव में लीन रहा । आख़िर रात में उसे अदृश्य शक्ति ने दर्शन दे ही दिए .... अदृश्य शक्ति ने सफ़ेद पोशाक पहने एक नेता के रूप में उसे दर्शन दिए ...जिसे वो पाँच साल के लिए बड़ी उम्मीदों से चुनता है ..और फ़िर पूरे पाँच साल नाउम्मीद होके जीता है ...

बुधवार, 25 मार्च 2009

अदृश्य शक्ति

मैं कहता कहता था अमेरिका को भी एक दिन हमारी ताक़त का एहसास हो जाएगादौड़ा दौड़ा एक दिन हमारे पीछे आ जाएगा । ये बताओ आज का अख़बार आज सुबह की खबर किसने किसने देखी ? बारहवी आर्ट संकाय के लगभग सभी बच्चो ने हाथ खड़े कर दिए । गुड गुड वैरी गुड ...मुंह में आ रही तंबाखू की पीक को क्लास की पीछे वाली खिड़की से बहार थूकते हुए राजनीति विज्ञान के टीचर विश्वजीत ने कहा .... तम्बाकू की नई खुराक को रगड़ते हुए ..क्यों बे सागर क्या खास ख़बर है ???
स्स्स्सर अमेरिका का प्रेसीडेंट ओबामा हिंदुस्तान की डेमोक्रेसी को दखने समझने के लिए उमरानाला आ रहा है ....स्स्स्स्सर क्या वो सचमुच हमारे गाँव में आ रहा है । आएगा क्यों नही ? हमारी डेमोक्रेसी बल्ड की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है । अच्छा तुम लोग ये जानना नही चाहोगे ...कि वो सिर्फ़ चुनाव देखने आ रहा है या कुछ और ही राज़ है ।
राज़ ...सर हमारे गाँव में आने के पीछे क्या राज़ हो सकता है ?राज़ तो है ...सोचो । कितनी बार कहा है ध्यान से अख़बार पढ़ा करो । राजनीति की पढ़ाई है । घर में किताबों को देख कर पूरी नही होगी । राजनीति की असली पढ़ाई तो अख़बार पढने से होती है (मास्टर जी अपने ज्ञान की गंगा बहाने लगे )
जानते हो मेरे घर में कितने अख़बार आते हैं (क्लास के कुछ शरारती बच्चे एक ख़ुद का ख़रीदा हुआ बाकी दस इन्हा उन्हा से बटोर लेता हैऔर तो और स्कूल की लाइब्रेरी में भी एक भी अखबार बचने नही देता ) क्यों रे गोधन तू तो मेरे पड़ोस में रहता है । ज़रा खडे होके बता मेरे घर में कितने अख़बार आते हैं .... स्स्सर दस नही नही ग्यारह बारह ....
आप लोग हैं कि अख़बार नही पढ़ते न्यूज़ चैनल नही देखते भइया आपकी पढ़ाई तो राम भरोसे है
हाँ ! तो मैं कह रह था ...इसमे अमेरिका की कोई कोई चाल है मैं तो कहूँगा ओबामा उमरानाला रहा है तो ये एक बड़ी साजिश है देखना चुनाव के बाद स्विस बैंक में बोरे भरके रुपया दबाने वाले कई नेताओं की छुट्टी हो जायेगी अरे अमेरिका में मंदी है । और यहाँ चुनाव में जैसे रुपयों का समन्दर बह रहा है । इतना पैसा कहाँ से आ रहा है । ये सब जानने ही वो आ रहा है । चुनाव उनाव तो बहाना है
इधर क्लास में विश्वजीत मास्साब का लेक्चर चल रहा था । गाँव की गलियों चौपालों खेतो में ओबामा ओबामा की लहर बह रही थी हर तरफ ओबामा के चर्चे हो रहे थे लेकिन गाँव के लगभग आखरी छोर पर उमरानाला पुलिस चौकी में गाँव के सिपाहियों मुंशियों की अलग तरह की परेड चल रही थी । बड़े बड़े अधिकारी रोज़ चौकी में आने लगे थे । आख़िर अमेरिका का राष्ट्रपति आ रहा है । पूरे प्रदेश के पुलिस के आला अधिकारीयों ने गाँव के आस पास डेरा जमा लिया था । चौकी के पास खाली पड़े खलियान को दिन रात मेहनत कर पुलिस ग्राउंड का रूप दिया जा रहा था ।
डीजीपी बंसल ने चौकी इंचार्ज रूप सिंह परिहार को आवाज़ लगाई ...रूप सिंह कहाँ मर गया बे । आया साबजी । सावधान विसराम रूप ने जम कर एक सेलूट मारा । देख रूप ...ये सेलूट वेलूट तो कुछ दिन के लिए अपनी गाँ *** में डाल ले किस किस को सेलूट मारेगा नालायक । हमे देख रहा है ...किनते सारे बाप दादे खड़े है । देख सबको घं ** पे मार रहे हैं न !!!
रूप सिंह टोपी के अन्दर हाथ को डालकर सर खुजाते हुए जी साब जी । मैं कह रहा था वो खलियान धीरे धीरे मैदान जैसा लगने लगा है जी ..गाँव के कुछ निक्कमे लोगो को भी डंडा दिखाके काम पे लगा दिया है । बंसल ने सिगरेट का काश लेते हुए । इस ओबामा के बच्चे को भी जाने क्या सूझी जो इस गाँव में मर**ने आ रहा है । हजुर ठीक कहते हो । अरे हाँ यार !!चुनाव में इधर उधर ड्यूटी के नाम पर घूम लेते अच्छा मनोरंजन हो जाता । एक दो छुटभैयों को घुसे जमा देता ...चुनाव के बाद तो सालो की हजुरी करनी पड़ती है । एक बार केन्द्र में अपनी सरकार आए फ़िर एक के माँ के *** को देख लूँगा ।
बंसल तब तक पुलिस चौकी की टूटी कुर्सी पर बैठ चुका था रूप उसके पैरों के पास नीचे बैठ गया । वैसे साहब पूरे परदेश की पुलिस फोर्स तो यहाँ मर** रही है । तो चुनाव कैसे होंगे । बंसल ...चुनाव का क्या है चू**ये वो तो हो ही जायेगा । ये ओबामा कौन साला पूरे चुनाव के लिए यहाँ आ रहा है । तीन दिन का दौरा है । तीन दिन बाद वो चला जाएगा इस्लामाबाद पाकिस्तान की बजा** और हम यहाँ मिल कर चुनाव की ड्यूटी कर लेंगे ।
देख रूप चुनाव तो तू भूल जा । मुझे भी सबने यही कहा है । तू सिर्फ़ ध्यान दे ओबामा पर पूरी मध्य प्रदेश पुलिस महकमे की इज्ज़त की बात है । अरे होगी स्काट लैण्ड पुलिस न्यूयार्क पुलिस एम् पी पुलिस किसी से भी कम नही ।
अदृश्य शक्ति अदृश्य शक्ति !!! ये अदृश्य शक्ति क्या है । खेतो से थक हार कर लौटे राधेलाल ने अपने बापू से पुछा । अरे अदृश शक्ति यानि बहुत बड़ी ताक़त जो दिखाई नही देती । पर सारी चीजों को वो हो चलाती है । (नेता जी को वोट दो । बटन दाबो बाल्टी पे । बाल्टी को जो वोट देगा उसको पानी मिलेगा भरपूर चुनाव चिन्ह बाल्टी दीनाजी की बाल्टी हम सबकी बाल्टी प्रचार की गाड़ी घुर घुर शोर मचाती तीन चार राउंड लगाकर धूल उडाती चली गई ।)
आपके लोक प्रिय प्रत्याशी दीनाजी की आम सभा शाम सात बजे बस स्टेंड पर । चुनाव चिन्ह बाल्टी ।( प्रचार की गाड़ी में बैठे श्यामूं ने कहा बहुत हो गई बाल्टी बाल्टी बाल्टी अब बाटली बोले तो बोतल ला । गला दुख रहा है भाई )
अदृश्य शक्ति अदृश्य शक्ति
रही है अदृश्य शक्ति
पाँच
साल में दिखती है
अदृश्य
शक्ति अदृश्य शक्ति
अद्भुत शक्ति अद्भुत शक्ति
अदृश्य
शक्ति अदृश्य शक्ति
सारी पुलिस फोर्स उमरानाला में
रुकता नही फ़िर काम रे
चाकू
चले छुरी चले
इससे
इनको क्या काम रे
फ़िर
भी देखो सब
ठीक
ठाक ही चल रहा है
ओबामा भारत आने को मचल रहा है
अदृश्य शक्ति अदृश्य शक्ति
अद्भुत शक्ति अद्भुत शक्ति
अदृश्य
शक्ति अदृश्य शक्ति sss
(समापन किस्त अगली कड़ी में ओबामा रहे हैं उमरानाला )

शुक्रवार, 20 मार्च 2009

जनतंत्र का डमरू जनतंत्र का जंतर

"जनतंत्र का डमरू जनतंत्र का जंतर "
आबाजी (दादाजी)

चुनाव के रंग बिरंगे इस महा पर्व में उमरानाला गाँव की गलियां चुनावों के रंग में गुलज़ार है। वोट कहानी जो इस ब्लॉग पर विधानसभा चुनाव २००८ के समय शुरू हुई थी ...उसके विस्तार का माकूल समय आ गया है । उमरानाला की गलियों में यहाँ दिल्ली से बैठकर चुनाव उसके हर रंग को देखने की एक छोटी सी कोशिश है ..."जनतंत्र का डमरू जनतंत्र का जंतर ...."आशाएं ,उम्मीदें ,हम सबके ख्वाब चुनाव के समय जैसे इन्हे नए पंख मिल जाते हैं । दीवारों पर नारे पोस्टर बैनर पार्टियों के घोषणा पत्र । उमरानाला में बचपन से ही चुनाव के इस माहौल को करीब से देखा और महसूस किया है ।
बड़े बड़े नेताओं की जन सभाओ को देखा । गाँव के भोले भाले सपने भी देखे । आज जैन दादाजी की याद आ रही है । जिन्हें हम सभी प्यार से " आबाजी " कहते थे । मराठी में दादा के लिए आबा शब्द का प्रयोग होता है । चुनाव के वक्त जैन दादाजी की दवाईयों की दुकान में अखबार की तादात बढ़ जाती थी ...वो
पढने के बेहद शौकीन थे । अख़बार पत्रिकाएं रेडियो टेलिविज़न चुनाव की हर ख़बर पर वो पैनी नज़र रखते थे ।
उनका एक विशेष दल से लगाव था । उनकी सोच में छोटे बड़े हर मुद्दे होते थे । लोगो की भीड़ ...छोटे बड़े नेताओं का जमावडा चाय की चुस्कियां और चुनाव के हर रंग । देश कहाँ जा रहा है ... गर्मियों के समय रात में खाने के बाद मैं अक्सर उनकी राजनैतिक चर्चाओं का हिस्सा बन जाता था ।
एक बार उन्होंने कहा था ...हमारे देश में इलेक्शन नही सलेक्शन होना चाहिएएक दल विशेष से लगाव होने के बावजूद वो उम्मीदवार की व्यक्तिगत छबी को हमेशा ध्यान में रखते थे ।
गाँव की गलियों में सब कुछ बदल रहा है । चुनाव भी बदले ...ठप्पा ईवीएम मशीन में बदल गया । बटन दबाकर नेताओं की तकदीरों के फैसले होने लगे हैं ... लेकिन आज भी चुनाव और उसको लेकर उत्साह जस का तस् है । हमारे गाँव में अधिकांश लोग कृषि से जुड़े हैं । खेतों में खलियानों से चुनाव की फिजा बहती है । "जनतंत्र का डमरू जनतंत्र का जंतर "में हम हमारे देश के महान लोकतंत्र को उमरानाला की इन्ही फिजाओ से महसूस करने की कोशिश करेंगे । उमरानाला पोस्ट को एक साल पूरे हो गए हैं । और अब लगता है ...जैसे मेरा यह छोटा सा गाँव महज एक भूगोल नही है ...इसका विस्तार हो चुका है । उमरानाला ग्लोबल बन गया है । जिसके सीमांत अब लकीरों में नही ..बल्कि हम सब के भीतर कहीं न कहीं बसते हैं !!!

शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2009

ऍफ़ एम् (समापन किस्त )

प्यार का पहला ख़त

तकरीबन रात आठ बजे तृष्णा तन्सरा बिछुआ रोड पर उतर गया । रात काफ़ी हो चुकी थी । वो तेज़ कदमों साथ घर की ओर बढ़ने लगा ...रास्ते में घरों के चूल्हे से रात का खाना बनने की लजीज खुशबू आ रही थी । चूल्हे का धुआ ..दिन भर पेट में चूहे कूदे ..तृष्णा घर आ गया । बड़ी देर कर दी ...हाथ मुहं धो के खाना खा ले । माँ ने कहा । तृष्णा ने अपने कमरे में रेडियो चालू कर दिया ...मक्के ज्वार की रोटी सेमी की सब्जी और प्याज़ की तीखी चटनी दिन भर की भूख को और भी बढ़ा रही थी । रेडियो पर फिल्मी गीतों का कार्यक्रम " एक फनकार " शुरू हो चुका था । तृष्णा ने भीतर से अपना कमरा बंद कर लिया । घर पर सभी लोग सो चुके थे । तृष्णा ने अपने बैग से दो दिल वाला ग्रीटिंग कार्ड निकला ..अंजुम को पहला ख़त लिख ...क्या लिखूं ? कुछ समझ नही आ रहा था ...गुलाबी स्याही वाला खुशबू वाला पेन तृष्णा कभी ...पेन को मुंह में दबाता कभी ...टेबल पर रख देता ...कमरे में टहलते हुए वो ग्रीटिंग कार्ड को देख रहा था ।
लैटर पेड के चिकना पन्ना उसमे बना दिल ....तृष्णा ने लिखना शुरू किया ...मेरी प्यारी ..कट कट ...पहला सफा उसने फाड़ दिया ...क्या लिखूं माय डीअर ...मेरी प्यारी मेरी प्यारी प्यारी ...तृष्णा पाँच छ सफे जाया कर चुका था । और फ़िर

मेरी प्यारी अंजुम ,
जन्म दिन की ढेरो शुभकामनाये !!
HAPPY BIRTH DAY TO YOU !!!
मैं नही जानता तुम इस ग्रीटिंग कार्ड और मेरी भावनाओ के बारे में क्या सोचती होलेकिन मेरे दिल ने कहा कि तुमसे अपने प्यार का इज़हार करूँ ।मेरे इस ख़त को पढ़कर तुम नाराज़ न होना ...तू मेरी ज़िन्दगी है .....................................................................................
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.........तृष्णा की रफ्तार बढती जा रही थी । जैसे दिल से कोई बात अपने आप निकल रही थी ....प्यार का पहला ख़त ..जिसकी शुरुआत उसे लगभग नामुमकिन लग रही थी ...वो लिखते लिखते .............
पूरे
दो पन्नो का ख़त लिख बैठा ।
अगर अच्छा लगे तो ख़त फाड़ देना
तुम्हारा
अपना
तृष्णा
तृष्णा ने ग्रीटिंग कार्ड पर टू डीअर अंजुम फ्रॉम तृष्णा लिखकर उसे अच्छी तरह चिपका दिया । रात के करीब बारह बज चुके थे । तृष्णा ने अपने पहले ख़त में कुछ रूमानी गाने भी लिखे । शायद वो उसके क्रिएटिव पोएटिक जीवन की पहली शुरुआत भी थी । ख़त में लिखी पहली कविता की कुछ लाईने उसने अपनी डायरी में भी लिख ली । रात भर तृष्णा करवट बदलता रहा । अंजुम ख़त के बारे में क्या सोचेगी । कहीं वो ख़त स्कूल में किसी टीचर को न दे दे ...या घर वालों को तृष्णा को अंजुम के अब्दुल चाचा से डर लगता था । अब्दुल चाचा टेक्सी चलाते थे ...और मोटर लाइन में होने के कारण कुछ फसादी किस्म के भी थे .अंजुम को भी उनसे डर लगता था ।
रेडियो पर भक्ति संगीत के साथ तृष्णा की सुबह हो गई । स्कूल जाते समय बड़ी हिम्मत कर तृष्णा ने अंजुम को ग्रीटिंग कार्ड और उसमे रखा ख़त दे दिया । इसे अकले में पढ़ लेना । अगर अच्छा न लगे तो फाड़ देना ।अचानक तृष्णा को क्या हुआ अंजुम सोच में पड़ गई .लेकिन उसने हलकी मुस्कराहट के साथ तृष्णा से बेझिझक ख़त ले लिया । तृष्णा तेज़ी के साथ स्कूल की तरफ बढ़ने लगा । उसने अंजुम को बताया आज शाम रेडियो पर मेरा इंटरव्यू आएगा ....
दोनों दिन भर कशमकश में स्कूल में रहे । तृष्णा बार बार उसे क्लास में देख रहा था उसने वो ख़त पढ़ा या नही ... उसका ध्यान उसकी फिजिक्स की मोटी किताब पर था जिसमे उसने ग्रीटिंग कार्ड रखा था ।शाम को तृष्णा अंजुम के साथ घर नही जाना चाहता था । लेकिन तृष्णा के स्कूल से निकलते ही वो उसके साथ तन्सरा के लिए निकल पड़ी ... तृष्णा ने पुछा कार्ड देखा क्या । रास्ते में अंजुम ने कार्ड खोल लिया ...वो चलते चलते तृष्णा के सामने उसका ख़त पढ़ती जा रही थी । अंजुम ने कहा कितने बजे तुम्हारा इंटरव्यू आएगा ...तृष्णा ने दबी आवाज़ में कहा ...छ बजे ठीक है में घर आई हूँ दोनों साथ में सुनेंगे ।
दोनों ने साथ में रेडियो पर इंटरव्यू सुना । अंजुम ने प्रेक्टिकल कापी के बीच में रख कर एक पर्ची दी ...उसने कहा इसे अकेले में पढ़ लेना ।
गाय को चारा पानी दे दे sssss...अंदर से आवाज़ आई तृष्णा प्रेक्टिकल कापी में रखी पर्ची को लेकर खेत की तरफ बढ़ने लगा । "I LOVE YOU ग्रीटिंग कार्ड अच्छा था तृष्णा की मुहब्बत की गाड़ी चल निकली .....

(पाँच साल बाद )

स्कूल में शुरू हुआ प्यार ...कॉलेज में आ गया । तृष्णा का रेडियो प्रेम और अंजुम प्रेम दोनों परवान पर रहे ... तृष्णा अंजुम कॉलेज में भी साथ में थे । फाइनल ईयर में तृष्णा को अंजुम ने एक ख़त दिया ..घर में उसकी शादी की बात चल रही है ....हमारे रास्ते अलग हैं .......नदी के दो किनारे कभी मिलते नही ..तृष्णा अंजुम के आखरी ख़त को नम आँखों से पढ़ रहा था । कुछ शब्द डी फोकस हो रहे थे । तुम हमेशा खुश रहना ...रेडियो पर तुमको सुनते रहूंगी ....अंजुम ने लिखा
एक
सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ आकाशवाणी के छिदवाडा केन्द्र रेडियो पर गीत बज रहा था " ये प्यार था या कुछ और था तुझे पता मुझे पता " तृष्णा ने छिंदवाडा गुलाबरा में अपने कमरे में रेडियो की आवाज़ तेज़ कर दी , आज भी रेडियो पर जब भी ये नगमा बजता है तृष्णा भावुक हो जाता है ....और ऍफ़ एम् की आवाज़ ..ज़ाहिर है तेज़ हो जाती है । ये निगाहों का ही कसूर था तेरी खता मेरी ....
(कहानी अधूरी है )

बुधवार, 4 फ़रवरी 2009

ऍफ़ एम् (भाग सात )

खिड़की वाली सीट

धरम टेकडी की पहाडी पर छिंदवाडा आकाशवाणी केन्द्र में दोपहर बाद तृष्णा पहुँच ही गया । आकाशवाणी के गेट को वो बड़ी उत्सुकता से कुछ देर ठहरकर देखता रहा । उसका सपना सच हो रहा था ... आकाशवाणी केन्द्र के इर्द गिर्द वो पहले चक्कर काटकर चला जाता था । बाहर से हर कोने से इसे उसने देखा था । वो सात सवाल कार्यक्रम के विजेता के रूप में ही इसके अंदर जाना चाहता था । आज उसे ये एंट्री मिलने जा रही थी । कविता जी से भी मुलाक़ात होगी ,जिनकी भी तक उसने सिर्फ़ आवाज़ ही सुनी थी । रेडियो पर प्रोग्राम देने वाले सुनील कदोला जी भी मिलेंगे । जिनकी चौपाल घर पर उसके पिताजी बड़े चाव से सुनते हैं । और कौन कौन मिलेगा ....? वो सोचने लगा ।
आकाशवाणी के फ्रंट ऑफिस में वो दाखिल हो गया । एक मधुर सी आवाज़ ...जी किस्से काम है ? तृष्णा ने सात सवाल कार्यक्रम ज़िक्र किया । रजिस्टर में उसका नाम लिख लिया गया । उसे कुछ देर इंतज़ार करने के लिया कहा गया । तृष्णा आकशवाणी के स्वागत कक्ष में बैठ गया । वो इधर उधर उत्सुकता से निगाहे दौड़ा रहा था । तभी एक आदमी तेज़ी से चिल्लता हुआ आगे आगे जा रहा था ...उसके पीछे एक महिला अपना पसीना पोंछते हुए कुछ परेशान सी उसके पीछे पीछे जा रही थी । ये सब क्या गड़बड़ करते हो मैं तुम्हारी नौकरी खा लूँगा । तीन दिन बाद छब्बीस जनवरी के कार्यक्रम प्रसारित होंगे अभी तक कुछ भी तैयार नही हैं । लोक गीत की रिकॉर्डिंग भी क्या मैं ही करवाऊंगाssss वो डांटता हुआ एक कमरे में घुसा । तृष्णा ने उस कमरे के बहार लगी तख्ती को गौर से पढ़ा "एम् के डांगे स्टेशन डारेक्टर " तख्ती को पढ़कर और डांगे की सख्ती को देखकर तृष्णा को आकाशवाणी के केन्द्र में उसके कद और पद का अंदाजा हो गया ।
डांगे जिस महिला को डांट रहा था ...वो स्वागत कक्ष में किसी डिसूजा को पूछ रही थी । ये डिसूजा भी हर दिन लेट आता है । और काम के वक्त ही भाग जाता है । कविता जी सात सवाल के लिए एक लड़का आया है । तृष्णा अपनी कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया । तो ये है कविता शर्मा उसे बड़ी हैरत हुई । कविता ने उसे कुछ देर और बैठने के लिए कहा । रिकॉर्डिंग करने वाला डिसूजा अभी तक नही आया है । हमेशा लेट होता है साला ... कविता जी के मुंह से गाली सुनकर उसे हैरत हुई ।
मोहित को बताऊंगा कितनी भद्दी दिखती है । मुझे तो लगता था आसमान की कोई परी होगी पर ये ???? बैठे बैठे तृष्णा वहां की हर हलचल को बड़े गौर से देख रहा था । शीशे वाला कमरा ..वो रिकॉर्डिंग स्टूडियो था । काफी देर हो रही थी शाम होने वाली थी । तृष्णा को वहां बैठे बैठे तीन घंटे से भी ज़्यादा हो गए थे । किसी ने चाय के लिए भी नही पूछा । दो तीन दफे तृष्णा बगीचे में टहलकर अपना टाइम पास करता रहा । वहां बगीचे में उसने कविता को सिगरेट के कश मारते हुए देखा । कितनी अच्छी छबी बनाई थी मैंने कविताजी की पर यहाँ तो सब उल्टा ही है । एक नौजवान से उससे बड़े प्यार से बात की ...कैसे आए हो भइया !! उसके ऐसा बोलते ही उसने उसकी आवाज़ पहचान ली दरअसल ये नौजवान कोई और नही चौपाल वाले सुनील कन्दोला जी ही थे । सुनील ने उससे काफी देर बात की ...बातों बातों में उसने आकाशवाणी के गर्म मिजाज़ स्टेशन डारेक्टर के बारे में भी काफी कुछ कहा । त्रिशन ने पूछा ये डिसूजा कौन है ? हमारे यहाँ रिकॉर्डिंग में है ....साला एक नम्बर का काम चोर है । उसकी वजह से ही हम उदघोषको को गाली खानी पड़ती है । क्यों तुम्हरी रिकॉर्डिंग अभी तक नही हुई क्या । मैं कविता को बोलता हूँ । वैसे तुम कहाँ से आए हो ...तृष्णा ने कहा उमरानाला तन्सरा से ... मेरा अभी प्रोग्राम है । तुम भी अपनी रिकॉर्डिंग करवा लो मैं तुम्हे एल सी स्टैंड पर छोड़ दूंगा । तृष्णा को सुनील से मिलकर बहुत मज़ा आया । सुनील कन्दोला आकाशवाणी में पार्ट टाइम काम करते थे । इसके अलावा वो पी गी कालेज में हिन्दी साहित्य भी पढाते थे।

भीतर से तृष्णा के लिए कविता का बुलावा आ गया । तृष्णा का इंटरव्यू रिकॉर्ड हो चुका था । कविता जी को धन्यवाद कहने के बाद वो सुनील के साथ बस ई एल सी पर आ गया । मध्य प्रदेश राज्य परिवहन निगम की पुष्पक बस में खिड़की वाली पिछली सीट पर बैठे बैठे वो गुप्ता की दुकान से ख़रीदे हुए ग्रीटिंग कार्ड को निहारने लगा । कल अंजुम को कार्ड देना है । घर जाते ही ख़त भी लिखना है ...कमबख्त आकशवाणी में डिसूजा की वजह से इतनी देर हो गई । ठंडी हवा के झोंके के साथ खिड़की वाली सीट पर उसे हलकी हलकी झपकी आने लगी ...अंजुम को आज प्यार का पहला ख़त लिखना है ... खिड़की से ताजी हवा के झोंके के साथ ...
अंजुम के ख्यालों में तृष्णा खोने लगा ....

शुक्रवार, 23 जनवरी 2009

ऍफ़ एम् (भाग छः )

जन्म दिन


एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ आकाशवाणी के छिदवाडा केन्द्र में तृष्णा के इंटरव्यू का दिन तय हो गया । इधर स्कूल में छब्बीस जनवरी के जलसे के तैयारी भी अपने चरम पर थी । साइंस टीचर ने एक तरह से बारहवी क्लास के स्टुडेंट को अपनी तरफ से छुट्टी दे दी । तृष्णा स्कूल से जल्दी घर चला जाता था । स्कूल में ढेर सारे इवेंट हो रहे थे । कभी स्पोर्ट्स तो कभी वाद विवाद ,प्रश्न मंच ...आदि आदि । वैसे साइंस टीचर्स ने छुट्टी इस लिहाज़ से दी थी की स्टूडेंट्स इस समय का उपयोग घर में अपने प्रेक्टिकल प्रोजेक्ट बनने के लिए करे .... तृष्णा के दिलो दिमाग पर कुछ और ही प्रोजेक्ट चल रहा था । सात सवाल के तिलस्म को तोड़ लेने के बाद वो दिल की पहेली को सुलझना चाहता था । वो और अंजुम करीब आ रहे थे । स्कूल से दोनों जल्दी साथ में घर के लिए निकल जाते थे । दोपहर के वक्त उमरा नदी के सुनसान से पुल पर ...अंजुम और तृष्णा दुनिया ओ दारी से तन्हा गुजरते थे । तृष्णा दिल ही दिल में अंजुम को कक्षा आठ से ही चाहने लगा था ..लेकिन अपने प्यार के इज़हार से वो हमेशा डरता था ।
रेडियो में बजने वाले रोमांटिक गीत उसके ज़ज्बातों के तूफ़ान को हवा देते थे । और फिल्मो के शौक ने तो जैसे उसके जीवन में एक अलग रंग भर दिया था । आशिकी ,सड़क, मैंने प्यार किया दिल है की मानता नही ....जैसी फिल्में वो कई बार देख चुका था । प्यार के इज़हार का कोई सूत्र उसे मालूम नही था । अंजुम का जन्म दिन २४ जनवरी को आता है .... उसे लगा अपनी वफ़ा के इज़हार के लिए यही दिन सबसे अच्छा होगा । उसकी रातो की नींदे उड़ रही थी । फ़िर इस मामले में गाँव के अपने कुछ बेहद करीबी दोस्तों से उसने इस बारे में बात की ।
सलाहे ढेर सी आई ..लेकिन उसे सागर की सलाह ही ठीक लगी । सागर ने कहा जन्म दिन का एक खूबसूरत सा कार्ड और एक इजहारे वफ़ा का ख़त दोनों साथ में दे दो ..फ़िर देखते है क्या होता है । कल तुम इंटरव्यू रिकॉर्ड करवाने छिंदवाडा जा ही रहे हो । वहीं शहर की दुकान से एक अच्छा सा कार्ड ले लेना । अगले दिन तृष्णा ने गोल गंज में गुप्ता की ग्रीटिंग कार्ड की दुकान से एक कार्ड लिया ..महकते फूलो की खुशबू वाला कार्ड ...कार्ड पर दो दिल एक होके धडक रहे थे । तृष्णा का दिल भी कार्ड के साथ साथ धड़कने लगा ...(जारी है )

सोमवार, 19 जनवरी 2009

ऍफ़ एम (भाग पाँच )

तृष्णा रुआंसा हो गया ...ऐसा उसकी साथ पहली दफा हुआ था । वो अपना फेवरेट प्रोग्राम नही सुन पाया । उसका मन एक बार तो किया कि रेडियो उमरा नदी में फेंक दे । फ़िर उसे ख्याल आया ... कितने चाव से उसने ये रेडियो काली रात के मेले से खरीदा था । और फ़िर एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ आकशवाणी का यह छिंदवाडा केन्द्र वो तो उसकी जान था । भला कोई जिस्म से रूह को जुदा करता है । भावनाओं के ऐसे ही सैलाब को लिए ...तृष्णा रेडियो सुधरवाने उमरानाला आ गया ।
शाम हो चुकी थी ...वो सतीश इलेक्ट्रोनिक्स की दुकान पर आ गया । उमरानाला बाज़ार चौक में सतीश की सबसे पुरानी दुकान थी । एल पी के भौपू से लेकर टीवी तक ...सतीश की दुकान ने लंबा सफर तय किया था । वो इलाके का सबसे भरोसेमंद कारीगर था । इलेक्ट्रोनिक्स का कोई भी सामान वो मिनटों में सुधर सकता था .... कुछ नही हुआ है सिर्फ़ साल्डर निकल गया है ..अभी कन्नी गर्म करके जोड़ देता हूँ । सतीश ने रेडियो दुरुस्त कर दिया । एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ आप सुन रहे हैं आकाशवाणी का छिंदवाडा केन्द्र शाम के आठ बज चुके हैं ..अब भोपाल केन्द्र से प्रादेशिक समाचार प्रसारित होंगे
नमस्कार... यह आकाश वाणी का भोपाल का केन्द्र है ..अब प्रेम परिहार से सुनिए प्रादेशिक समाचार ...
राज्य की ताज़ा तरीन ख़बरों को सुनने के बाद तृष्णा ...रेडियो लेकर घर आ गया । घर पर उसने रेडियो चालू कर दिया था । चौपाल कार्यक्रम शुरू हो चुका था । तृष्णा खाना खाकर पढने के लिए बैठ गया । उसके जेहन में सात सवाल का इस बार का विजेता कौन था ? सवाल घूमने लगा । और इस हफ्ते के सात सवाल क्या हैं ? मुझे तो मालूम भी नही .... सुखदेव से मिल लेता तो अच्छा होता ...शायद उसे इस हफ्ते का विजेता मालूम हो ..और इस हफ्ते के सवाल भी । शाम को उमरानाला गया था ..अच्छा होता यदि मीतू से मिल लेता किसी ने तो सुना होता ।
तृष्णा ये सब सोच ही रहा था कि तभी उसके घर बडबडाते हुए अंजुम आई । तुम भी अजीब हो तीन बार घर आके जा चुकी हूँ । तुम कहाँ थे ? मिठाई खिलाओ । मिठाई किस बात की ....तृष्णा को हैरत हुई । अच्छा जैसे कुछ पता ही नही । तृष्णा की आंख से आंसू निकल पड़े । अरे ! क्या हुआ ? सब ठीक तो है न । तृष्णा ने उसे शाम का पूरा घटना चक्र बताता उससे पहले अंजुम ने बताया तुम भी हद करते हो "सात सवाल के विजेता बन गए हो ...मुंह मीठा नही करवाओगेsss
तृष्णा को अपने कानो पर भरोसा नही हो रहा था । अंजुम को उसने बताया कि आज शाम वो पूरा प्रोग्राम सुन नही पाया । अंजुम ने लम्बी साँस लेते हुए कहा तो ये माज़रा था ...फ़िर रेडियो के अंदाज़ में अंजुम ने उसे पूरा प्रोग्राम अपनी तरह से सुनाया ...लंबा बिगुल बजा ..पों पों पों
तृष्णा को हसी आने लगी । कमरे में रेडियो बज रहा था " एक प्यार का नगमा है .... इस गीत की फरमाइश की है छिदवाडा खजरी से अनिल मुकेश शशि सौरभ सत्य प्रकाश , और साथियों ने अमरवाडा से चंदन ,गोलू , नेहा , और पिकी ने ... उमरानाला से मोहित ,संजय, आशीष , विष्णु , रीतेश आकाश निखिल .... तन्सरा से इस गीत की फरमाइश .....की है तृष्णा अंजुम और उनके ढेर सारे साथियों ने .....एक बार फ़िर अंजुम और तृष्णा ज़ोर से हसे ।
ज़िन्दगी तेरी मेरी कहानी है sss अरे तुम युगबोध प्रकाशन की किताब तो दे दो । कल केमिस्ट्री के भी प्रेक्टिकल शुरू होंगे ... और हाँ कल दस बजे ज़ल्दी स्कूल जाना है .......
एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ आप सुन रहे हैं आकाशवाणी का छिंदवाडा केन्द्र रात्रि के बारह बज चुके हैं . हमारी यह सभा अब यहीं समाप्त होती है . अगली सभा में कल प्रातः छः बजे आप से मुलाकात होगी . ...तब तक शुभ रात्रि ...जय हिंद

मंगलवार, 13 जनवरी 2009

ऍफ़ एम् (भाग चार )

" मोहित बारबर "

सारा
दिन धूप की आँख मिचोली चलती रही । मन ही मन तृष्णा भी अंजुम के साथ एक तरफा प्रेमी की तरह आँख मिचोली करता रहा । फिजिक्स के प्रेक्टिकल नही हो पाए हिन्दी की क्लास के बाद तृष्णा स्कूल से बाहर गया स्कूल के पास मोहित नाई की दुकान पर बैठकर उसने कुछ देर अख़बार पढ़ा अपनी डायरी में उसने कुछ नोट्स लिखे अख़बार से खास जानकारियां अपनी डायरी में लिखना तृष्णा का शौक था फ़िर कुछ देर शीशे में अपने बाल निहार कर केश सज्जा कर वो घर की तरफ बढ़ गया

स्कूल के ठीक सामने अनिल कपूर ,संजय दत्त शाहरुख़ खान आमिर खान और सलमान खान के पोस्टर और बड़े बड़े हर्फो में लिखी "न्यू मोहित हेयर सलून " की दुकान ....उमरानाला स्कूल के लड़कों का मनपसंद अड्डा थी । स्कूल के लड़कों का झुंड का झुंड मोहित के सलून में जमघट लगाये रहता था । मोहित नाई की दुकान की दीवारे दिव्या भारती ,माधुरी, रवीना टंडन,नग्मा और कई फिल्मी तारिकाओं के पोस्टर से अटी पडी थी । साथ ही कुछ हेयर स्टाइल को दिखाते कुछ पोस्टर भी लगे थे । मोहित की दुकान में स्कूल के लड़कों को फैशन के नए नए गुर मिलते थे । मोहित नाई ख़ुद भी बहुत फेशनेबुल था . तरह तरह के हेयर स्टाइल वो ख़ुद भी आजमाता था . गाँव में संजू बाबा की तरह लंबे बालों का फैशन उसी ने शुरू किया था .कुछ आशिक मिजाज़ लड़कों के लिए नैन मटक्के के लिहाज़ से मोहित की दुकान आदर्श जगह थी . जाम रोड ,एम् पी ई बी रोड ,बस स्टेंड हिवरा रोड से आने जाने वाली लड़कियों का नज़ारा इस दुकान से बखूबी हो जाता था . मोहित को भी स्कूल की लड़कियों के चर्चे सुनाने में मज़ा आता ...लेकिन तृष्णा से मोहित की दोस्ती कुछ बौद्धिक तरह की थी ...मोहित भी एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ छिदवाडा ऍफ़ एम् का दीवाना था ...तृष्णा उसकी दुकान में अख़बार पढने रोज़ नियम से जाता था . कभी कभार वो मोहित के नाम से भी फिल्मी गानों की फरमाइश भेज देता था ...मोहित खुश होकर उसे चाय भी पिला देता ...

सात सवाल कार्यक्रम शुरू होने में अभी पूरे एक घंटे का वक्त बाक़ी था अपनी साइकल पर तृष्णा मस्ती में घर जा रहा था रास्ते में उसे अंजुम भी मिल गई अंजुम ने उससे पुछा तुम प्रेक्टिकल किस किताब से लिख रहे हो तृष्णा ने उससे कहा युगबोध प्रकाशन की किताब मेरे पास है तुम फ़िक्र मत करना मुझसे किताब ले लेना रास्ते में स्कूल की बातें हुई अंजुम ने उसे बताया आजकल पढ़ाई नही हो प् रही है परीक्षा सिर पर है मुझे कुछ भी नही सूझ रहा है प्रेक्टिकल खत्म हो जाए तो कुछ दिन घर पर ही में पढ़ाई कर लूँ तृष्णा ने कहा मैं भी ऐसा ही सोचता हूँ लेकिन कर भी क्या सकते हैं

आजकल
स्कूल में काफी समय जाया हो जाता है तृष्णा ने उसको कहा आज सात सवाल ज़रूर सुनना अंजुम ने कहा हाँ ....घर पर यदि वक्त मिला तो ज़रूर सुनूंगी .... धीरे धीरे दोनों तन्सरा के टेक पर गए तृष्णा ने चलते चलते मन ही मन " दीवाने शाह बाबा की दरगाह " पर प्रणाम किया ...और मन ही मन कामना की बाबा आज मेरा नाम विजेता के रूप में जाए तृष्णा घर गया ... किताबों को टेबल पर रख कर ...तृष्णा ने पहले बाड़े में जाकर गाय को चारा पानी दे दिया। अभी से चारा पानी क्यों कर रहा है अंदर से आवाज़ आई । तृष्णा सात सवाल प्रोग्राम इत्मिनान से सुनना चाह रहा था । इस प्रोग्राम को सुनते हुए किसी भी तरह का विघ्न उसे गवारा नही था । गाय को चारा पानी देने के बाद ...घर के अन्दर आके .. तृष्णा ने रेडियो चालू कर दिया ..खर खर्र खर... रेडियो में कुछ खरखराहट हो रही थी तृष्णा ने रेडियो के एंटीना से एक लंबा तार बाँध दिया ..आवाज़ कुछ देर के लिए साफ़ हो गई .... लेकिन फ़िर खर खर ....पाँच बज चुके थे ....तृष्णा रेडियो के साथ ज्यादा छेड़ छाड़ करने के मूड में नही था ...लेकिन एंटीना का लम्बा तार हवा के झोंको के साथ रेडियो की आवाज़ को बेसुरा कर रहा था ... ये आकाशवाणी का छिंदवाडा केन्द्र .....खर्र खर ..तृष्णा ने रेडियो भर्र एक बार ज़ोर के ठोंका ... आज सात सवाल कार्यक्रम .... खर खर्र ...भर्र भररर ....

तभी
बिजली गुल हो गई ..हे भगवान ये क्या हो रहा है ....तृष्णा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को गाली दी इसके राज में बिजली भी नही मिलती sss सात सवाल प्रोग्राम शुरू हुए बीस मिनिट हो चुके थे ... बिजली नही आई .... तृष्णा ने रेडियो चालू करने के लिए सेल निकाले ... रेडियो में सेल डालते ही गाना रुक जाना नही तू कभी हार के sss काटों पर चल के मिलेंगे साये बहार के SSS बज रहा था .... दोस्तों इस प्यारे से गीत के बाद ... खर्र खर ...(जारी है )