किसनवा जहाँ एक और हमें हँसा हँसा के लोटपोट कर रहा था .वहीं हमारे मन को गब्बर की चाल परेशान कर रही थी । हमें लगने लगा था कहीं ऐसा तो नही गब्बर किसनवा को मरने से पहले खूब हँसाना चाहता है .किसनवा को हँसता देख हमें उस पर तरस आने लगा था .साथ ही हमारी खीज भी बढ़ती ही जा रही थी आख़िर क्यों वो उसकी चाल को समझ नही रहा है ? किसनवा गाना सीख रहा है । वहीं गब्बर के घर में कुछ खटपट होती है । हमने सुना कि गब्बर किसन को एक बड़ा स्टार बनाना चाहता है । बिसन (गब्बर) बच्चों का ज़हाज़ लेकर जाता है । अब हमें वो थोड़ा थोड़ा अच्छा आदमी लगने लगा । बच्चों के साथ उसका गाना "बिसन चाचा कुछ गाओ ..." हमें काफ़ी पसंद आया । तभी ज़हाज़ में फ़िल्म के असली खलनायकों की एंट्री होती है । हमारे दिमाग से गब्बर को लेकर ग़लत फेहमियाँ भी दूर होने लगती है । मन का बोझ कुछ हल्का होने लगा । हमें समझ आने लगता है कि गब्बर ही किसन का बचपन का दोस्त बिसन है ।
और बिसन के मामा शकुनी और कंस की तरह उसका काम तमाम करना चाहते है ।
किसन बिसन को इस मुसीबत से बचाता है । दोनों का याराना हमारे दिलों दिमाग में गहरा असर छोड़ जाता है । फ़िल्म के क्लाइमेक्स में मार धाड़ देखने की हमारी दिली मुराद भी पूरी हो जाती है । आसमान में उड़न खटोले से नकली नोटों की बारिश होती है । सारे बुरे लोग नोटों पर झपट पड़ते है । किसना बिसन की जीत होती है । हम तालियाँ पीटते है । इस बात का वैसे कोई खास फर्क नही पड़ता की मैंने और मेरे दोस्तों ने "याराना" का सबक गब्बर से सीखा । गब्बर हमें दोस्ती सिखाने वाला गुरु लगा । इस फ़िल्म के बाद कभी भी हमें अमज़द खान (गब्बर) बुरा आदमी नही लगा । आसमान में उड़ते उड़न खटोले को देखकर हम सभी दोस्त उसके पीछे पीछे भागने की कोशिश करते थे , तो वहीं विलायती पतंग उडाने का अरमान हमारे बाल मन में कई दिनों तक रहा । हमने इसको लेकर कई कहानियाँ भी बुनी लेकिन बचपन में इसमे उड़ने की हसरत हसरत ही रही ।
एक दफे इलेक्शन के समय एक निर्दलीय उम्मीदवार ने किराय के हेलीकाप्टर से अपने पर्चे हमारे गाँव में गिराए थे .हमें ये पर्चे नकली नोट ही लगे .हमने आवाज़ भी लगायी किसन किसन ..फिर हमें लगा कि फ़िल्म का हीरो हमारे गाँव में भला क्यों आएगा ?हमने उस नेता के पर्चों को बीन बीन कर जमा भी किया । याराना का सीन एक बार फिर ताज़ा हो गया .हमारा भ्रम भी मिट गया .आख़िर गब्बर से भी तो याराना सिखा जा सकता है .एक फ़िल्म का दुश्मन दूसरी फ़िल्म में दोस्त भी हो सकता है। गब्बर और अमिताभ बच्चन में भी दोस्ती हो सकती है !!