एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ पर आकशवाणी का यह छिंदवाडा केन्द्र है .... हमारे आज के सांध्य कालीन प्रसारण में सुनिए कार्यक्रम युववाणी शाम पाँच बजे , छह बजे भक्ति संगीत का कार्यक्रम साढ़े छह बजे रोज़गार सूचना आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से प्रादेशिक समाचार प्रसारित होंगे शाम सात बजे ..... सुगम संगीत रात आठ बजे ... और रात साढ़े आठ बजे चौपाल कार्यक्रम प्रसारित होगा ...... दोपहर की सभा यही समाप्त होती है ... अगली सभा में शाम पाँच बजे फ़िर मुलाक़ात होगी ... जय हिंद !!
तृष्णा ने जल्दी जल्दी खाना खत्म किया बुधवार चौथा पीयरेड हिन्दी का ...हिन्दी की कॉपी ...पहला गणित का गणित की कॉपी और भौतिकी के आज प्रेक्टिकल होंगे तृष्णा ने साइकल के करियर पर किताबे दबा ली और साइकल उठा कर स्कूल के लिए निकल पड़ा । रेलवे फाटक बिछुआ रोड पर तृष्णा का मकान तन्सरा में था , तन्सरा से करीब तीस चालीस स्टुडेंट दोपहर के स्कूल जाते थे .. लेकिन तृष्णा की क्लास बारहवी गणित विज्ञान संकाय में केवल उसके साथ गाँव की अंजुम खान ही थी । तृष्णा के कहने पर ही अंजुम ने दसवी के बाद गणित विज्ञान सब्जेक्ट लिया था । कक्षा छठवी से दोनों स्कूल साथ साथ जाते रहे । तृष्णा पहले अंजुम को अपनी साइकल में ही बैठा के ले जाता था । लेकिन दसवी से अंजुम भी अपनी लेडीज़ साइकल से स्कूल जाने लगी थी ।
अंजुम और तृष्णा के बीच में किताबो नोट्स का आदान प्रदान होता रहता था । और रास्ते में उमरा नदी के चढाव पर दोनों अपनी साइकल से उतर कर बतियाते जाते थे । उमरा नदि के पुल पर दोनों के बीच स्कूल की बातों के अलावा दुनिया जहान की बातों का आदान प्रदान होता था । स्कूल के मीठे खट्टे अनुभव भी सुनना सुनाना होता । अंजुम अपनी सहेलियों की तकरार भी तृष्णा को सुनाती थी । उमरा नदी का बहता जल और नदी का पुल उनकी बातें खामोशी से सुनता था ।
अंजुम को रेडियो ऍफ़ एम् सुनने का कोई खास शौक नही था । लेकिन तृष्णा उसे अपनी बातों में रेडियो सुनाता था । अक्सर फरमाइशी गानों के प्रोग्राम में वो अपने अपने साथ साथ अंजुम का नाम भी पोस्ट कार्ड पर लिख कर भेजता था । कल की ही बात है अंजुम फिजिक्स के नोट्स लेने के लिए तृष्णा के घर आई थी । रेडियो पर फरमाइशी गानों के प्रोग्राम में उसने फ़िल्म दीवाना के गीत "तेरी उम्मीद... तेरा इंतजार करते है ..." दीवाना फ़िल्म के गाने के लिए तृष्णा के साथ साथ अपना नाम भी सुना था । सात सवाल कार्यक्रम के बारे में भी वो अंजुम को बताते रहता था ।
नदि का चढाव पूरा हो गया ...स्कूल में आजकल हिन्दी के पीयरेड बाद छब्बीस जनवरी के जलसे के लिए रिहर्सल शुरू हो जाती थी । बारहवी गणित विज्ञान और जीव विज्ञान के स्टूडेंट्स को इस दौरान प्रेक्टिकल कराये जा रहे थे । फिजिक्स के टीचर ने इस के लिए चार चार स्टूडेंट्स के दस ग्रुप बना दिए थे .. लाईट (प्रकाश) की गति का प्रयोग ...आजकल धूप भी खुल के नही निकल रही ...अंजुम और तृष्णा एक ही ग्रुप में थे ...(जारी है )
(आप सभी को नए वर्ष की शुभकामनायें )