शनिवार, 4 अक्टूबर 2008

आसमानी आफत (समापन किस्त )

आजी अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी कि रामदीन (आजा) इस उलझन से दूर हो जाए .रामदीन जब भी प्रलय की बात करता वो बात को पलट देती । रामदीन ने एक रात जल्दी दुकान बंद कर दी । वो घर के आँगन में बैठकर आसमान को देख रहा था .उधर रसोई में आजी उसके लिए खाना बना रही थी । रसोई से निकलता धुआं और खाना के बेहतरीन खुशबू पूरे माहौल में तैर रही थी । आसमान की तरफ़ देखते हुए आजा अपने अतीत को देखने लगा । तिनका तिनका जोड़ कर उसने अपनी ज़िन्दगी का ताना बाना बुना था । उसे अपने अच्छे और बुरे दोनों ही दिन एक एक करके याद आ रहे थे । मीरा और शीला की शादी के पल भी बेटियों को याद करते वो भावुक हो गया .उसकी आँख से टपकते आंसू आसमान ने ही देखे । फ़िर अचानक वो आसमान को देख खौफ खाने लगा ..आसमानी आफत इसी आसमान से ज़मीन पर आने वाली थी ..प्रलय में कुछ दिन बचे हैं दुनिया खात्मे की और बढ़ चुकी है । भगवान् क्या इसी दिन के लिए इस दुनिया को बनाया ? वो मन ही मन सवाल करने लगा । उसे अपनी मनपसंद आलू की खीर भी आज पसंद नही आई । उसे खाना कसैला लग रहा था । चाँद से पीली धूल उड़ने लगी आजा घर के बाहर फिर एक बार आया । काली बिल्ली की चमकती आँखे देख वो डर गया रात में उसे पीला चाँद और बिल्ली की काली आँख ही नज़र आ रही थी .वो तेज़ी से एक बार फिर बिल्ली की तरफ दौड़ा ...
अगली सुबह उसने आजी से कहा मैं ज़रूरी काम से छिंदवाडा जा रहा हूँ .तू दुकान जल्दी आ जाना मेरा खाना भी दुकान में ले आना । लगभग दस बजे के आस पास आजी दुकान आ गई । आजा मोहन बाबू के साथ छिंदवाडा चला गया .रास्ते भर दोनों के बीच में प्रलय की ही बातें होती रही । चार दिन बाद प्रलय होगा । छिंदवाडा कचहरी में उसने अपनी पूरी जायजाद अपनी बेटियों के नाम लिख दी । ये सोचकर प्रलय के बाद अगर बेटियाँ बच जायेगी तो उनका क्या होगा ? शाम को वो घर आ गया । रात नौ बजे की गाड़ी से उसने यवतमाल जायजाद के कागज़ भिजवा दिए । उसका एक दामाद महाराष्ट्र रोडवेज यवतमाल में ऑफिस क्लर्क था । उसने आजी को बताया मैंने अपनी पाई पाई बेटियों के नाम लिख दी है क्यों ठीक किया न ..आजी ने उसे कहा बेटियों के सिवा इस दुनिया में हमारा कौन है ।
इस रात उसे थोडी चैन की नींद आई । मुरारी पंडित को उसने दान में गाय भी दे दी .वो तेज़ी से अपनी जिम्मेदारियां पूरी करता जा रहा था । और प्रलय का दिन आ गया ...अखबार के बड़े बड़े हर्फ़ आज रात दुनिया खत्म हो जायेगी ! उसने शाम तक प्रलय की खूब बातें सुनी .बाज़ार चौक के मन्दिर में अखंड रामायण का पाठ किया जा रहा था .भजन कीर्तन पूरे गाँव में जोरो से चल रहे थे । प्रलय को टालने की इंसानी कोशिशों पर उसे हसी सी आई । तन्हाई में वो सीता राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण जोर जोर से जपने लगा .उसे लगा वो अपना मानसिक संतुलन खो रहा है .वो घर आ गया उसने आनंद के साथ रात का खाना खाया आजी से मजाक भी की .दोनों खूब हसे । आधी रात को उसने आजी से कहा मेरे लिए चाय बना दे । आजी ने कहा सुबह पी लेना .वो जिद पर अड़ गया .आजी चाय बनाने के लिए उठी .चूल्हे की आग में आजा एक एक कर रुपये जलाने लगा आजी से कहा अब ये रूपये किसी काम के नही ...कुछ देर में दुनिया खत्म हो जायेगी आजी उसे रोक भी नही पा रही थी .दोनों ने चाय पी उसने राम को याद किया ।
सुबह का सूरज धीरे धीरे आने लगा । भजन कीर्तन अखंड रामायण का शोर थमने लगा । लोगो में उत्त्साह था रामजी ने दुनिया को बचा लिया .प्रलय नही आया । सुबह आजा की नींद खुली उसे विश्वास नही हुआ कि दुनिया में वो जिंदा है । उसने आजी को कहा प्रलय नही आई हम जिंदा है .जय घनश्याम जय राधेश्याम ... आजा की खुशी का कोई ठिकाना नही था .आजी ने भी कहा चलो प्रलय के बहाने ही सही तुमने बेटियों के नाम जायजाद लिख तो दी । मैं तो बोल बोल के थक गई ।
आजा दुकान में आ गए । उन्होंने पूरे दिन प्रसाद बाटा । अखबार को उन्होंने चूल्हे में जला दिया । अखबार की गाड़ी वाले से शाम को कह दिया मेरी दुकान में कल से अखबार का बण्डल मत डालना । सब झूठ लिखते हैं ..अखबार नही बकवास है ..। प्रलय तो प्रभु की माया है । प्रलय किसी अखबार वाले को बताकर दुनिया में नही आएगी .मोहन बाबू भी ज़ोर से हसे ..आजी भी हसी