सोमवार, 19 जनवरी 2009

ऍफ़ एम (भाग पाँच )

तृष्णा रुआंसा हो गया ...ऐसा उसकी साथ पहली दफा हुआ था । वो अपना फेवरेट प्रोग्राम नही सुन पाया । उसका मन एक बार तो किया कि रेडियो उमरा नदी में फेंक दे । फ़िर उसे ख्याल आया ... कितने चाव से उसने ये रेडियो काली रात के मेले से खरीदा था । और फ़िर एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ आकशवाणी का यह छिंदवाडा केन्द्र वो तो उसकी जान था । भला कोई जिस्म से रूह को जुदा करता है । भावनाओं के ऐसे ही सैलाब को लिए ...तृष्णा रेडियो सुधरवाने उमरानाला आ गया ।
शाम हो चुकी थी ...वो सतीश इलेक्ट्रोनिक्स की दुकान पर आ गया । उमरानाला बाज़ार चौक में सतीश की सबसे पुरानी दुकान थी । एल पी के भौपू से लेकर टीवी तक ...सतीश की दुकान ने लंबा सफर तय किया था । वो इलाके का सबसे भरोसेमंद कारीगर था । इलेक्ट्रोनिक्स का कोई भी सामान वो मिनटों में सुधर सकता था .... कुछ नही हुआ है सिर्फ़ साल्डर निकल गया है ..अभी कन्नी गर्म करके जोड़ देता हूँ । सतीश ने रेडियो दुरुस्त कर दिया । एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ आप सुन रहे हैं आकाशवाणी का छिंदवाडा केन्द्र शाम के आठ बज चुके हैं ..अब भोपाल केन्द्र से प्रादेशिक समाचार प्रसारित होंगे
नमस्कार... यह आकाश वाणी का भोपाल का केन्द्र है ..अब प्रेम परिहार से सुनिए प्रादेशिक समाचार ...
राज्य की ताज़ा तरीन ख़बरों को सुनने के बाद तृष्णा ...रेडियो लेकर घर आ गया । घर पर उसने रेडियो चालू कर दिया था । चौपाल कार्यक्रम शुरू हो चुका था । तृष्णा खाना खाकर पढने के लिए बैठ गया । उसके जेहन में सात सवाल का इस बार का विजेता कौन था ? सवाल घूमने लगा । और इस हफ्ते के सात सवाल क्या हैं ? मुझे तो मालूम भी नही .... सुखदेव से मिल लेता तो अच्छा होता ...शायद उसे इस हफ्ते का विजेता मालूम हो ..और इस हफ्ते के सवाल भी । शाम को उमरानाला गया था ..अच्छा होता यदि मीतू से मिल लेता किसी ने तो सुना होता ।
तृष्णा ये सब सोच ही रहा था कि तभी उसके घर बडबडाते हुए अंजुम आई । तुम भी अजीब हो तीन बार घर आके जा चुकी हूँ । तुम कहाँ थे ? मिठाई खिलाओ । मिठाई किस बात की ....तृष्णा को हैरत हुई । अच्छा जैसे कुछ पता ही नही । तृष्णा की आंख से आंसू निकल पड़े । अरे ! क्या हुआ ? सब ठीक तो है न । तृष्णा ने उसे शाम का पूरा घटना चक्र बताता उससे पहले अंजुम ने बताया तुम भी हद करते हो "सात सवाल के विजेता बन गए हो ...मुंह मीठा नही करवाओगेsss
तृष्णा को अपने कानो पर भरोसा नही हो रहा था । अंजुम को उसने बताया कि आज शाम वो पूरा प्रोग्राम सुन नही पाया । अंजुम ने लम्बी साँस लेते हुए कहा तो ये माज़रा था ...फ़िर रेडियो के अंदाज़ में अंजुम ने उसे पूरा प्रोग्राम अपनी तरह से सुनाया ...लंबा बिगुल बजा ..पों पों पों
तृष्णा को हसी आने लगी । कमरे में रेडियो बज रहा था " एक प्यार का नगमा है .... इस गीत की फरमाइश की है छिदवाडा खजरी से अनिल मुकेश शशि सौरभ सत्य प्रकाश , और साथियों ने अमरवाडा से चंदन ,गोलू , नेहा , और पिकी ने ... उमरानाला से मोहित ,संजय, आशीष , विष्णु , रीतेश आकाश निखिल .... तन्सरा से इस गीत की फरमाइश .....की है तृष्णा अंजुम और उनके ढेर सारे साथियों ने .....एक बार फ़िर अंजुम और तृष्णा ज़ोर से हसे ।
ज़िन्दगी तेरी मेरी कहानी है sss अरे तुम युगबोध प्रकाशन की किताब तो दे दो । कल केमिस्ट्री के भी प्रेक्टिकल शुरू होंगे ... और हाँ कल दस बजे ज़ल्दी स्कूल जाना है .......
एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ आप सुन रहे हैं आकाशवाणी का छिंदवाडा केन्द्र रात्रि के बारह बज चुके हैं . हमारी यह सभा अब यहीं समाप्त होती है . अगली सभा में कल प्रातः छः बजे आप से मुलाकात होगी . ...तब तक शुभ रात्रि ...जय हिंद

1 टिप्पणी:

सुप्रिया ने कहा…

amitabh ji ,
is kahani me mujhe bahut maza aaya . fm ki kahani ka ant bahut achcha laga