गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

श्रद्धांजलि : सुखदेव

(स्मृति शेष : सुखदेव डोंगरे )
(१९८४-२०१०)

हम सब की ज़िन्दगी में एक वक़्त ऐसा आता है ...जब हमारे शब्द ..हमारी भावनाएं ...हमारी अभिव्यक्ति ..सब कुछ खामोश हो जाते है । आँखे रोना चाहती है ...दिल रोना चाहता है ...और हम खुद को बेबस समझने लगते है । आज ऐसी ही मनोदशा से सुखदेव डोंगरे के हम सभी मित्र गुज़र रहे है । उमरानाला गाँव में सुखदेव के साथ हम सभी ने एक लम्बा वक्त बिताया था। सुखदेव हम सभी की अच्छी यादों का एक अभिन्न और महत्तवपूर्ण हिस्सा था । २५ फरवरी २०१० एक लंबी बीमारी और हादसे से पीड़ित हमारा यह दोस्त सुबह ग्यारह बजे हमेशा के लिए हमसे विदा हो गया । उसके दुखद निधन के दो दिन बाद आज जब में ये पोस्ट लिख रहा हूँ ..तब भी मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ की ...आज मैं अपनी और सुखदेव की किस मुलाक़ात को याद करूँ ...उसके साथ मेरी पहली मुलाक़ात या आखरी ..जब वो ज़िन्दगी और मौत से संघर्ष करना रहा था ।

सुखदेव की शिक्षा नितांत अभावों में हुई ...उसके घर में बिजली भी नहीं थी ...दिए की रौशनी में रातों को पढाई कर उसने पूरे क्षेत्र में अपनी पहचान बनायीं थी । हमेशा अव्वल आना स्कूल के कालेज में साहित्यिक गतिविधियों में हमेशा टॉप रहा ... कुल मिलाकर सुखदेव एक बेहद प्रतिभाशाली छात्र रहा । पत्रकारिता और साहित्य से भी वो सतत रूप से जुडा रहा । वो " दीपक" "दीप" उपनाम से अपनी रचनाएँ लिखता था ।

मेरे एक अन्य मित्र रामकृष्ण डोंगरे "तृष्णा" और सुखदेव के साथ हम तीनों की त्रिवेणी खूब जमती थी । अक्सर चाय की दुकानों में हम आपस में रचनाओं को सुनते सुनाते थे। गाँव की गलियों सड़कों पुलिया तो कभी घर की छत पर हमारी महफ़िल होती ।क्षेत्र के सुप्रसिद्ध सूफी संत दीवाने शाह बाबा की दरगाह तन्सरा में भी हम साथ में जाते । सुखदेव का मुंडन संस्कार भी यही हुआ था .. बारहवी कक्षा में सुखदेव को "बेस्ट स्टुडेंट " का अवार्ड मिला था । हम ने सृजन नाम से एक सांस्कृतिक संस्था भी बनायीं थी ।
दिल्ली आने के बाद भी हम खतों के ज़रिये जुड़े रहे। दिल्ली से जब भी मैं घर आता मेरा ज्यादा वक्त उसके साथ बीतता ...सुखदेव के बारे में और भी चर्चा करूँगा ...सुखदेव अब हमारे बीच नहीं है ...उमरानाला पोस्ट में अपने इस मित्र को शिद्दत से आज याद करना रहा हूँ ...मेरी आँखे नम है ..उसकी जुदाई का यह ग़म बड़ा है ...मेरी और उसके सभी दोस्तों की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि ...
"आज तुम नहीं हो इस महफ़िल में
तुम्हारा ज़िक्र रहेगा सदा इस महफ़िल में "
परमपिता परमेश्वर सुखदेव की आत्मा को शांति प्रदान करे ..परमपिता परमेश्वर उसे हर वो सुख प्रदान करे जो उसे इस जीवन में नहीं मिले
सुखदेव तुम सदा हमारे साथ रहोगे
हमारी यादों में ...हमारी बातो में

ॐ शांति ! शांति !!शांति !!!

3 टिप्‍पणियां:

अनुनाद सिंह ने कहा…

ठीक ही तो कहा है कि अच्छे लोगों को ईश्वर भी पसन्द करता है।

Chhindwara chhavi ने कहा…

इस पोस्ट पर कमेन्ट लिखना चाह रहा हूँ ....
मगर क्या लिखूं ...
यहीं कि सुखदेव के चले जाने से बहुत दुखी हूँ ...
नहीं, इतना भर लिखने से मुझे चैन नहीं मिलने वाला ...
मेरे सीने में आग लगी है ... उसे बाहर लाना होगा ...
कहते है कि अपराध से घृणा करो अपराधी से नहीं ...

बस इसलिए कहता हूँ कि एक प्रतिभाशाली युवक सुखदेव की मौत की वजह हमारा सामाजिक ताना बाना है ... जिसने पढाई में अव्वल और होशियार युवक को हमसे छीन लिया ... सुखदेव के साथ क्या कुछ नहीं हुआ... यह उसके परिवार और हम दोस्तों के अलावा कौन जानता है ?

भाई हमें इसकी तह तक जाना होगा ...
ताकि फिर कोई दीप यूँ ही ना बुझ जाए ...

RAMKRISHNA DONGRE
TRISHNA

Amit K Sagar ने कहा…

जब जाना, दुःख हुआ. इतना कि कई रोज़ कुछ न लिख सका!
ऐसा लगा जैसे शब्द नहीं हैं, बातें नहीं हैं, आवाजें नहीं हैं- खामोशी है! और लाबा है कोई! बेहद दुखद!
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इश्वर प्यार दे.