शनिवार, 24 मई 2008

गार पगारे /उमरानाला की बात (२०)

हमारे देश में खेती बाड़ी मानसून का जुआं है .शायद यही वजह है कि आज भी हमारे गाँव में फसलों को नुकसान से बचाने के लिए किसान तरह तरह के जतन करता है .मानसून की आमद से पूर्व ही किसान अपनी ज़मीनों को तैयार करने लगते हैं .गर्मियों मे शादी ब्याह जैसे आयोजनों से फुरसत होने के बाद जून के महीने में उमरानाला और आस पास के इलाकों में किसान खेती बाड़ी के कामकाज में व्यस्त हो जाते हैं । इनमें घर की महिलाएं भी पूरी भागीदारी निभाती हैं ..और स्कूल में पढ़ने वाले किसानों के बच्चे भी खेतों में पूरी तल्लीनता से अपना योगदान देते हैं ।
किसान एक ओर जहाँ फसल कि पैदावार अच्छी होने के लिए अच्छे मानसून की कामना करता है ,वहीं अपनी फसलों को ओला वृष्टि से बचाने के लिए "गार पगारों " का सहारा भी लेता है .स्थानीय भाषा में हमारे गाँव में ओले की बारिश को गार गिरना कहते हैं । किसान की यह मान्यता है गार पगारे मन्त्र तंत्र के द्वारा खेतों में खड़ी उनकी फसलों को ओलों से बचा लेते हैं .इसके लिए किसान बकायदा गार पगारों को सालाना अनाज का दान भी करतें हैं .गार पगारों को अनाज दान का मतलब की उस साल फसल कुदरत के कहर से बच जायेगी । गार पगारे एक विशेष जाति समुदाय होता है । जो फसल की बोवनी से पहले अपने मंत्रों के द्वारा खेत के चारों ओर मंत्रों की एक लक्ष्मण रेखा खींच देता है । खेत के आकर के हिसाब से गार पगारे अनाज लेते हैं .इसी अनाज से इस जाति विशेष का भरण पोषण होता है । उमरानाला में गार पगारों का अब केवल एक ही परिवार है जो इकल बिहरी में रहता है .इस परिवार के लोग आस पास के गाँव में भी जातें हैं .साल में गार पगारे दो बार खेतों को मंत्रों के द्वारा सुरक्षित करने का अनुष्ठान करते हैं ,बदले मे किसान इन्हे अनाज कभी- कभी रूपये पैसे और कभी -कभी कपडे लत्ते भी देते हैं .हमारे क्षेत्र में ये परम्परा काफी समय से चली आ रही है .एक समय गार पगारों की काफी बड़ी संख्या थी .लेकिन अब केवल एक ही परिवार है ।
किसानों की मान्यता कितनी असरदार होती है मैं नही जनता लेकिन कुछ बुजुर्ग बतातें है कि उन्होंने कई बार ये कोशिश करके देखी कि गार पगारों से अपने खेतों को मंत्रित नही करवाया .इसका नतीजा ये हुआ कि उन सालों में उनके खेतों में कई बार ओले गिरे ,उनकी फसले बरबाद हो गई । इस मान्यता के पीछे चाहे जो भी कारण हो ,लेकिन एक बात तो तय है कि गार पगारों की वजह से कम से कम किसान ओलों की बारिश से तो बेफिक्र रहता है । शायद ऊंचा आसमान और बादल भी गार पगारों के मंत्रों से डरते हों !!

3 टिप्‍पणियां:

Chhindwara chhavi ने कहा…

उमरानाला पोस्ट
वाकई कमाल की है हरेक पोस्ट ...

उमरानाला और आस पास के इलाकों में अपनी फसलों को ओला वृष्टि से बचाने के लिए किसान "गार पगारों " का सहारा भी लेता है .
मेरे लिए भी एकदम नई जानकारी थी ...

ओले की बारिश को गार गिरना कहते हैं..
यह तो मुझे पता था ..
यह भी की गार पगारों का परिवार है ...

मगर यह नहीं मालूम था कि..
ये लोग मन्त्र तंत्र के द्वारा खेतों में खड़ी फसलों को ओलों से बचाने का काम भी करते है ...

अमिताभ भाई कभी -कभी
मेरे दिल में ख्याल आता है ..

क्या ख्याल आता है कि ...

किसान का बेटा मैं हूँ ...
लेकिन आपको कहाँ से खेती -किसानी के बारे में इतना ज्यादा पता है ...

कमाल है भाई ...
बधाई ...


http://dongretrishna.blogspot.com/

Amit K Sagar ने कहा…

bahut hi sundar bhai ji. likhte raho. bahut hi achha.
---
http://ultateer.blogspot.com

karmowala ने कहा…

ओला वृष्टि से फसलों को बचाने के लिए किसान "गार पगारों " का सहारा भी लेता है .
मेरे लिए भी एकदम नई जानकारी थी ... यह भी की गार पगारों का परिवार है ... गार पगारे एक विशेष जाति समुदाय होता है ये लोग मन्त्र तंत्र के द्वारा खेतों में खड़ी फसलों को ओलों से बचाने का काम भी करते है
बदले मे किसान इन्हे दान मे अनाज कभी- कभी रूपये पैसे और कभी -कभी कपडे लत्ते भी देते हैं दान का मतलब की उस साल फसल कुदरत के कहर से बच जायेगी ।
... अमिताभ भाई कभी -कभी
मेरे दिल में ख्याल आता है ..
कमाल है भाई ...