रविवार, 19 अक्तूबर 2008

हम सबका चाँद !

अमूमन हम सभी की कल्पनाओं में चाँद रहता है । चाँद हमें खुशियों में भी अच्छा लगता है और चाँद हमारी उदासी में हमें अपना दोस्त लगता है। जब तक हम सभी का वास्ता विज्ञान की कक्षाओं से नही होता है ..तब तक चाँद को लेकर हमारी मासूम और भोली कल्पनाओं में चाँद कभी किसी बुढिया का घर तो कभी परियों का देश भी लगता है । चाँद हमारा हमसफर है । चाँद हमारे साथ चलता है । चाँद किसी माशूका की तरह हमारी ज़मी के आस पास चक्कर लगाता है । सागर में उठने वाली मौजों (ज्वार भाटे ) के पीछे भी चाँद ही होता है । कभी चाँद पर ग्रहण लगता है कभी ज़मी और आफ़ताब (सूर्य) के बीच ये आ जाए तो सूर्यग्रहण हो जाता है ।
इसकी दीद (दीदार) से ईद होती है । इसकी बाट करवाचौथ के व्रत में माँ भी जोहती है । और कभी रूठे लाल को मनाने के लिए माँ थाली में चाँद का अक्स दिखा कर चाँद परोस देती है । दूर देश में बैठा प्रेमी अपनी दिलरुबा से कहता है छत पर चाँद को देखना गोया मैंने देखा तुमको तो कभी प्रेमी दिलरुबा को चाँद भी कह देता है ।
बचपन में उमरानाला में मैंने चाँद के घर को ढूढने की कोशिश की ।

चाँद
का घर कहाँ है चाँद रहता कहाँ है माँ ने बताया चाँद मेरा मामा है चंदामामा ..इसलिए मुझे कई दिनों तक चाँद का घर होशंगाबाद (मेरे मामा का शहर ) ही लगता रहा और चाँद ने भी इस बात के लिए कभी बुरा नही मानाजैसे जैसे पढ़ाई और पढ़ाई के दर्जे बढ़ते गए चाँद के बारे में इल्म भी बढ़ा । चाँद को देखने का नजरिया साईटिफिक हो गया । चाँद के रहस्यों से परदे उठते चाँद के बारे में जानना अच्छा लगता । चाँद पर ग्रेविटी में पृथ्वी की तुलना में एक बटे छह का फर्क होता है . यानि चाँद पर एक हाथी को आसानी से उठाया जा सकता है।

चाँद
पर दिन बेहद गर्म और रात बेहद सर्द होती है । ख्वाब में हाथी हथेली पर आ जाता था ।विज्ञान की पढ़ाई में रोचकता होती थी । उमरानाला में विज्ञान की इन कक्षाओं में पढ़ने वाले हमारे शिक्षक हमें बेहद रोचक ढंग से पढाते थे । स्कूल में विज्ञान मेले भी लगते थे । दरअसल ,विज्ञान की पढ़ाई एक तपस्या की भाति है । और वैज्ञानिक होना उससे भी बड़ी तपस्या है । सम्प्रति की पढ़ाई में युवाओं की रुची घटती जा रही है। बाज़ार और रुपयों की चमक करीअर के चुनाव में भी हावी है पिछले दिनों उमरानाला के हमारे शिक्षक श्री अरुण गुप्ता सर मुझे बताया इस साल ग्यारहवी में साइंस लेने वाले बच्चों की तादात बेहद कम है । जबकि एक समय में विज्ञान विषय लेने के लिए लम्बी कतारे लगती थी । ये वाकई बड़ा चिंताजनक है। आज छात्र कम मेहनत में या मेहनत किए बिना सबकुछ पाना चाहते हैं ।चाँद के बारे में जानना आज भी अच्छा लगता है क्योंकि आज भी चाँद बड़ा प्यारा और मासूम लगता है ।

बहरहाल ,चंद्रयान की कामयाबी के लिए मैं दिल से प्रार्थना करता हूँ क्योंकि मिशन मून के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने एक लंबा सफर तय किया है तपस्या की है(तस्वीरे देखे )। चाँद के आगे मकाम अभी और भी हैं
कामयाबी का ये सिलसिला चलता रहे (आमीन ! आमीन !!अमीन )


***नेताओं के नाम के बजाय सड़कों चौराहों के नाम वैज्ञानिकों के नाम पर रखने चाहिए
केमिस्ट्री की हमारी टीचर श्रीमति अंजलि गुप्ता हमें अक्सर क्लास में कहती थी।


(**चन्द्रयान बाईस की अल सुबह प्रक्षेपित हो रहा हैये अवसर हर भारतीय के लिए गर्व का अवसर हैहमारे देश में जब अन्तरिक्ष अनुसन्धान की शुरुआत की थी उस समय समूचे विश्व में हमारी आलोचना की गईलेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने इन सभी आलोचनाओं को ग़लत साबित करते हुए इस दिशा में हमेशा नए आयामों का सृजन किया है भारत के चाँद पर बढ़ते कदम .. मिशन मून के लिए सभी वैज्ञानिकों को उमरानाला पोस्ट की ओर से हार्दिक शुभकामनायें )

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