गुरुवार, 31 जनवरी 2008

महाराज के बडे /उमरानाला की बात (०६)



मथुरा के पेढे आगरा के पेठे ...हर जगह के खान पान कि अपनी ही खासियत होती है .ऐसे ही उमरानाला मे महाराज के बडे बडे मशहूर है. लगभग साठ सालो से न केवल उमरानाला बल्कि आस पास के इलाको मे भी महाराज के बडो कि शोहरत फैली हुई है . बात उन दिनों कि जब उमरानाला मे बस स्टैंड बना ,महाराज यानी तिवारी जी ने बडे कि एक छोटी सी दुकान खोली . उसी साल उन्होने ने रेलवे स्टेशन मे भी दुकान शुरू की . धनिया, मिर्च, अदरक, प्याज़ और पांच तरह कि दालों से बने इन बडो का जादू ऐसा चला कि आज तक इसका स्वाद लोगो को अपनी ओर खींचता है . उमरानाला आने वाले लोग इन बडो को खाए बिना रह नही पाते . ऐसा भी कहा जाता है कि छिन्दवाडा आने वाले कलेक्टर एस पी और अन्य अधिकारियो को भी इसका जायका भाता है . पूर्व मे एक कलेक्टर हर दिन शाम का नास्ता यंही से मंगवाते थे .
पहले एक रुपये मे आठ बडे मिल जाते थे .लेकिन आज कल एक रुपये के दो बडे मिलते है .इन बडो के साथ महि कि खटाई और मिर्च हरे धनिये टमाटर से बनी चटनी दी जाती है .पहले कोयले की अंगीठी पर महाराज बडे बनाते थे , आज कल तंदूर मे कढाई मे बडो को तला जाता है .शनिवार बाज़ार मे ये बडे खासे लोकप्रिय है . साथ ही कई घरो मे ये शाम के स्नेक्स के तौर पर पसंद किये जाते है . पूरे साल मे केवल होली के दिन ये दुकान बंद रहती है . बारिश मे गिरते पानी के बीच गरमा गरम बडे खाने का मज़ा ही कुछ और है . चीनी मिटटी की प्लेट मे बडे परोसे जाते है . प्लेट मे महि और चटनी को पीने का मज़ा आता है . क़रीब दस साल पहले महाराज ने छिन्दवाडा ,सौंसर , परासिया आदि मे दुकान खोली थी लेकिन बाद मे उन्होने ये दुकाने बंद कर दी .
इस व्वसाय मे उनका पूरा परिवार घर कि महिलाये भी सहयोग करती है . सुबह चार बजे से दाल को मसाले को तैयार करना शुरू कर दिया जाता है . शाम चार बजे से देर रात तक ये दुकान खुली रहती है ,रेलवे स्टेशन मे ट्रेन आने पर हाथ ठेले पर ये दुकान लगती है . सुबह चार बजे नागपुर ट्रेन आने के साथ ही इन बडो का जायका पूरे माहौल मे फैलने लगता है .
आज कल बस स्टैंड मे सुबह से ये दुकान खुल जाती है . स्टैंड पर आने जाने वाली हर गाड़ी के साथ इन बडो का स्वाद और शोहरत दूर दूर तक पहुँचने लगती है . नागपुर से भी कुछ लोग कभी कभार केवल इन बडो को चखने के लिए आ जाते है .आख़िर इनका स्वाद भी तो है लाज़वाब !!

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