जब गाँव से कोई शहर मे आता है, गाँव की मिटटी की खुशबू और, यादो की पोटली भी लाता है . उमरानाला पोस्ट यादों की गठरी मे से निकली कुछ बाते है .उमरानाला की लाल मिटटी की खुशबू है, जिसे मैं अखिल ब्रह्माण्ड मे कहीं भी कभी भी महसूस कर सकता हूं .
गुरुवार, 25 सितंबर 2008
आसमानी आफत (भाग दो)
रामदीन पकोडे बनाने के लिए प्याज़ हरा धनिया मिर्च कटाने बैठ गया .प्याज़ कटते वक्त उसकी उंगली कट गई .खून बहने लगा ..शाम के वक्त भगवान् ये कैसा अपशगुन ?इसी बीच ज़ोर बारिश होने लगी .वो दुकान के बहार फैला सामान तेज़ी से समेटने लगा .बारिश की वजह से बहुत से लोग दुकान के अंदर आ गए .चाय है ...खाने को कुछ मिलेगा आवाजों से रामदीन का ध्यान थोड़ा बटा. थोडी देर बाद बादल छटने लगे बारिश रुक गई . रामधीन का ध्यान अचानक अखबार की तरफ गया उसने देखा आज का अखबार पानी में गल चुका है .वो ग्राहकों पर खीजने लगा मुफ्त का अखबार पढ़ते हैं . अख़बार एक जगह रखते नही है . हालाँकि उसने आसमान से आने वाली आफत की ख़बर वाला पन्ना सुबह सुबह ही छिपा कर रख दिया था . खास ख़बर वाला अख़बार का पन्ना अक्सर महफूज रखना उसकी आदत में शुमार था .और प्रलय वाली खबर उसके लिए बहुत ही अहम थी ... (जारी)
बुधवार, 17 सितंबर 2008
आसमानी आफत (एक)
रामदीन ने बांस और टाट के बोरे से अपनी दुकान को बनाया। इसमें देवी देवताओं के चित्रों की भरमार थी । यूँ तो रामदीन की उम्र पचास से भी ज्यादा हो चुकी थे .उसकी दो बेटियों की शादी यवतमाल में हो चुकी थी । रामदीन के पास जिम्मेदारी के नाम पर उसकी पत्नी सुशीला और वो ख़ुद था .सरकारी नौकरी रामदीन को रास नही आई इसलिए उसने सरकारी नौकरी को छोड़कर चाय की इस छोटी सी (उसके और गाँव के लोगो के लिहाज़ से बड़ी )दूकान का धंधा पिछले बीस सालों में जमाया । इस दुकान में दोनों पति पत्नी दिन भर व्यस्त रहते .रामदीन और सुशीला के दिन बड़े आराम से कट रहे थे । इस छोटे से धंधे की बदौलत उसने गाँव में अपना घर ज़मीन सब कुछ बना लिया था । गाँव में एक तरह से रामदीन की गिनती धनी -मानी लोगो में भी होती थी .प्यार और आदर से गाँव के लोग उसे आजा (यानि दादा) और सुशीला को आजी (यानि दादी )कहते थे ।
उसकी इस दुकान में रोज़ मर्रा का सामान जैसे साबुन सोडा चीनी आदि भी मिल जाता था । रामदीन अपना व्यापार बढ़ाना चाहता था .लेकिन आजी उसे मन कर देती थी .आजी उससे कहती थी कि हम लोगो के पास जो कुछ भी है वो हम दोनों के लिए बहुत है । पिछले कुछ दिनों से रामधीन खोया खोया रहने लगा था । कारण था आसमान से आ रही आफत ...स्काई लैब .उसकी दुकान पर बैठने वाले लोग इस आफत के बारे में रोज़ चर्चा करते थे । रामधीन भी गाँव में आने वाले अखबार और अपने रेडियो पर इस आफत के किस्से पढ़ और सुन रहा था । रामधीन को अन्दर अन्दर ही ये चिंता सताने लगी कि बस कुछ दिनों की बात है..आसमान से साक्षात् प्रलय आ रहा है । सारी दुनिया पल में खत्म हो जायेगी । अखबार में बड़े बड़े गहरे और काले रंगों में छपे शब्द "दुनिया खत्म होने वाली है ?" उसकी चिंता को बढ़ाने लगे थे । अखबार की गाड़ी सवेरे सवेरे रामदीन की दुकान पर ही अख़बार के बण्डल डालती थी.
ऊपर से रोज़ रोज़ बिल्ली का रास्ता काट देना रात भर उसका रोते रहना रामधीन को ये सब प्रलय काल का अपसगुन लग रहे थे। कितनी देर और लगेगी आजा चाय खौल गई क्या ..रामधीन की तंद्रा टूटी (जारी है )
गुरुवार, 11 सितंबर 2008
सिल्लेवानी वेली और करण
(उमरानाला के पास सतपुडा पर्वत माला की सिल्लेवानी की वेली है .सिल्लेवानी का जंगल पत्थरों पर कुदरत का बेहतरीन शाहकार है । आज मेरे मित्र और बड़े भाई करमबीर पवार के पुत्र करण का जन्म दिन है .करण के जन्म दिन पर सिल्लेवानी के जंगल की सैर आप सभी के लिए .करण को ढेर सारा प्यार और शुभकामनाएं . HAPPY BIRTH DAY करण !! सिल्लेवानी की वेली की सैर तुम्हारे लिए – अमिताभ)
करण के जन्म दिन पे चलो घूमे सिल्लेवानी वेली
सबसे अलग है सबसे अनोखी पर्वत की ये बेल
चुलबुली सी अलबेली है सिल्लेवानी वेली
सतपुडा के पहाडों की ये छोटी सी रानी
मनमौजी है इसकी नदिया
उंची चोटी से गिरगिर जाए
आज करण का जन्म दिन
हम सब यहीं मनाये
सागौन के इस जंगल में आज कर ले मंगल
चिडियों और शेर का देखे यहाँ दंगल
कितना कुछ है इस जंगल में
बारिश जम कर होती है
रात के सन्नाटे में नदिया
यहाँ पे नही सोती है
मिट्ठू की मीठी मीठी तान सुनाई देती है
सिल्लेवानी के जंगल में तो
शेर खान की ही चलती है
भालू भला सा लगता है
सूरज का घर भी यहाँ पे आस पास में लगता है
बादल जैसे ख़ुद चाहे हम छू ले उनको पास में जाके
कभी सितारे यहाँ पे जुगनू बनके उड़ते है
कितने रूप यहाँ पर इस छोटी रानी के दिखते है
पत्थर पे जंगल देखो कैसे ऊगा
सतपुडा की इस घाटी का रूप नया हमको दिखा
एडवेंचर करो मन माफिक
सब कुछ यहाँ मिलेगा
सिल्लेवानी के जंगल में मीठा मीठा बेर मिलेगा
कितने सारे फूल खिले है करण को कहने
HAPPY BIRTH DAY TO YOU!!!
जंगल कहिन हर बच्चे से
I LOVE YOU !!
हैप्पी बर्थ डे टू यू 'करन'
विश यू थोड़ी मस्ती भी 'करन'
प्ले द गेम ऑफ़ मिनिक्लिप कम
गिव द माइंड टू योर स्टडी 'करन'
टुडे यू आर इनवाईटेड डिनर विद चाँद
यू विन हमेशा मेरी जान
सो वी थिंक, व्हाट गिफ्ट बी फॉर यू 'करन'
बिकॉज यू आर इन सेल्फ अ बिग इनाम
सो, लेट्स ओनली सेलीब्रेट दिस डे
हैप्पी बर्थ डे, हैप्पी बर्थ डे, मेनी मेनी हैप्पी बर्थ डे
(ढेर सारे प्यार के साथ सागर )
बुधवार, 3 सितंबर 2008
अभी भी लापता है रामधन , तेज़ हुई तलाश
(रामधन के काफी करीब पहुँच गए है हम )
एक आशा की किरण मिली है । सावनेर और आस पास के गाँव में रामधन देखा गया । उसकी तलाश में महाराष्ट्र पुलिस भी सक्रिय है । ईश्वर की कृपा रही तो आज ही शाम तक शुभ समाचार मिल जाएगा । डोंगरे तन्सरा के अपने मित्र संतोष के साथ वलनी में रामधन की तलाश कर रहा है । रामधन जल्दी घर आ जाए इसके लिए हम सभी प्रार्थना कर रहे है .प्रेम परिहार जी ने रामधन की कुशल वापसी के लिए अपने आध्यत्मिक गुरु श्री दादाजी (साईं खेडा ) से भी बात की.दादाजी से बातचीत के बात उनकी कृपा से रामधन के विषय में काफी जानकारी मिल गई है .इसी बीच कल रात प्रेम परिहार जी ने रामधन के लिए एक रचना भी लिखी
लौट के आ जा पुत्र रामधन, तेरी माँ का हाल बुरा है
बुरे हाल हैं भाई-बहिन के, तू इस घर का चिराग खरा है
कहाँ गया तू हमें छोड़कर, हमने गले झुलाया तुमको
कितना प्यार तुम्हें करते हैं, मालूम है ये बात सभी को.
लुट गई सारी खुशी हमारी, दुःख, दर्द, संकट बिखरा है.
दादा, दादी, चाचा-चाची, सभी यहाँ पर दुखी बहुत
परमेश्वर से करें प्रार्थना, तू तो होवे सुखी जगत
आती याद सदैव तुम्हारी, अंधकार रान्खिं में घिरा हिया
लौट के आजा भाई मेरे, सचमुच कोई कुछ न कहेगा
तेरे आ जाने से घर में, बुझा चिराग तुरन्त जलेगा
भूल गए हम हँसाना गाना, आंखों में आंसू की धरा है.
कहाँ-कहाँ ढूंडा है तुमको, कहाँ कहाँ खोजा है
हमने सारे देव मनाये, कैसा सर पर बोझा है
छूट गई है खुशी हमारी, काला धुंआ यहाँ पसरा है
आस पड़ोसी सभी बुलाते, आजा लाल हमारी तू
बूढे बड़े जो गोद खिलाते, सबका एक सहारा तू
देख तुझे अँखियाँ हंस देंगी, ये ही मन में भावः भरा है
-"प्रेम"
(आज गणेश चतुर्थी भी है प्रभु गणेश से प्रार्थना है कि रामधन को जल्दी सकुशल घर आ जाए -अमित के सागर ,प्रेम परिहार अमिताभ )
सोमवार, 1 सितंबर 2008
मदद कीजिए ---
(रामधन डोंगरे यह युवक पिछले तीन दिनों से छिंदवाडा स्टेशन से लापता है इसके विषय में आपके पास कोई भी सूचना हो तो कृपया मदद कीजिए )
शनिवार की सुबह सुबह मेरे पास रामकृष्ण डोंगरे का फ़ोन आया ..
रात उससे बात नही हो पायी थी . रामकृष्ण डोंगरे का छोटा भाई रामधन छिंदवाडा स्टेशन से लापता हो गया .इस ख़बर से मों चौक गया ....रामधन को लापता हुए तीन दिन से भी ज्यदा हो गए हैं .अभी तक उसके बारे में कोई ख़बर नही मिली है .तन्सरा में डोंगरे के घर पर सभी लोग परेशान है .आप सभी से विनर्म अनुरोध है की इस युवक के विषय में कोई भी जानकर हो तो कृपया इस NO. 09424323965(mahesh pawar), 09873074753(ramkrishna dongre),09424362233(animesh dubey), 07162-231220 (rajkumar pawar- chhindwara) पर सूचित करे :ब्लोगेर मित्रों से अनुरोध है की कृपया नागपुर जबलपुर इंदौर और भोपाल के ब्लोगेर मित्रों को कृपया इस विषय में सूचित करे क्योंकि ये युवक इन शहरों में हो सकता है . कहाँ और किस -हाल में होगा में होगा मेरा भाई .
...२९ तारीख को chhindwara रेलवे स्टेशन से लापता है
...घर में माँ ... परेशान है ...
और हम सब लोग ....आप की मदद की आशा में
रामकृष्ण डोंगरे अमिताभ अमित के सागर