गुरुवार, 25 सितंबर 2008

आसमानी आफत (भाग दो)

दोपहर हो चुकी थी आजी दुकान में आ गई . हर दिन दोपहर के वक्त आजी रामदीन को कुछ देर आराम करने के लिए घर भेज देती थी . रामदीन सुबह से दोपहर तक हुए धंदे का हिसाब देकर घर जाने के लिए निकल पड़ा .रास्ते में लोगो से राम राम दुआ सलाम नमस्कार करते हुए रामदीन घर की ओर बढ़ रहा था . खाना खाकर कुछ देर आराम करने के लिए वो लेटने लगा अचानक रसोई में बिल्ली की खटपट से उसकी नींद में खलल पड़ा .वो तेज़ी से उसे मारने के लिए दौड़ा .फ़िर भुनभुनाता हुआ बिल्ली को कोसने लगा . घर से बाहर निकल कर देखा तो आसमान में बादल घुमड़ रहे थे . है ! भगवान ये सब प्रलय की निशानी ही है ..बेमौसम की बरसात . भगवान इस दुनिया को बचाना .रामदीन घर के दरवाजे अच्छी तरह बंद कर दुकान के लिए निकल पड़ा . तेज़ बारिश हो सकती है .चाय की चुस्की के साथ मोहन बाबू रामदीन से बोले ,रामदीन ने कहा बाबूजी ये सब प्रलय आने वाली है ,वरना इस मौसम में बारिश मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी में नही देखी .मोहन बाबू बैंक में काम करते थे . प्रलय की इस ख़बर में उनकी भी काफी दिलचस्पी थी .उन्होंने कहा ये सब आदमी की करतूत ही है .आख़िर ऐसी क्या मुसीबत की लैब आसमान में बनानी पड़ी .ये सब विनाशकाल और विपरीत बुद्धि का ही नतीजा है . मोहन बाबू ने आधी सुनी आधी गढ़ी बातों के हिसाब से रामदीन को बताया आजा ऐसा है इस लैब में बहुत सारे घातक रसायन हैं जिनसे पूरी की पूरी धरती जल जायेगी .दुकान में बैठे और लोग भी इस बात में पूरा ध्यान दे रहे थे .आजी चाय पर चाय बना रही थी . प्रलय की बात से उसे कोई सरोकार ही नही था .लेकिन मन ही मन वो भी डर रही थी .रामजाने क्या होगा ?
रामदीन पकोडे बनाने के लिए प्याज़ हरा धनिया मिर्च कटाने बैठ गया .प्याज़ कटते वक्त उसकी उंगली कट गई .खून बहने लगा ..शाम के वक्त भगवान् ये कैसा अपशगुन ?इसी बीच ज़ोर बारिश होने लगी .वो दुकान के बहार फैला सामान तेज़ी से समेटने लगा .बारिश की वजह से बहुत से लोग दुकान के अंदर आ गए .चाय है ...खाने को कुछ मिलेगा आवाजों से रामदीन का ध्यान थोड़ा बटा. थोडी देर बाद बादल छटने लगे बारिश रुक गई . रामधीन का ध्यान अचानक अखबार की तरफ गया उसने देखा आज का अखबार पानी में गल चुका है .वो ग्राहकों पर खीजने लगा मुफ्त का अखबार पढ़ते हैं . अख़बार एक जगह रखते नही है . हालाँकि उसने आसमान से आने वाली आफत की ख़बर वाला पन्ना सुबह सुबह ही छिपा कर रख दिया था . खास ख़बर वाला अख़बार का पन्ना अक्सर महफूज रखना उसकी आदत में शुमार था .और प्रलय वाली खबर उसके लिए बहुत ही अहम थी ... (जारी)

1 टिप्पणी:

manvinder bhimber ने कहा…

bahut sunder.....agliee kadi ka intjaar rahega