गुरुवार, 28 अगस्त 2008

परी जय और तनु के संग सैर सपाटा


परी का आज जन्म दिन है . परी को पहले बहुत भरमाया चाँद के खिलोने से . अब परी बड़ी हो रही ..संग आने जाने की जिद भी करती है . परी मुझे ताऊ कहती है जय भी मुझे ताऊ ही कहेगा .तनु मेरा भतीजा है . मेरा अपना बचपन उमरानाला में ही बीता है .इसलिए मुझे लगा जब ख्वाबों में ही परी को सैर करनी है तो क्यों न उमरानाला की सैर ही करा दूँ .
(अमिताभ परी और जय का ताऊ/तनु का चाचा )

मन में कितनी बातें सोची /मन में कितने किए ख्याल
परी के जन्म दिन को मनाने /हम सब हैं तैयार
तनु और जय ने कानों में मुझसे कुछ कहा
परी दौड़ दौड़ के सब देखती
पूछती है भला ये क्या माज़रा
आज परी का जन्म दिन है
हम सब की खुशियों का दिन है
तनु बोला गुब्बारे ला दो
जय बोला उनको उड़ा दो
मैंने बतिया सारी मानी
कहा चलो गुब्बारे पर उड़के चलते हैं
उमरानाला /आसमान में खेलते है ये खेल निराला
बच्चों ने ताली पीटी /परी के जन्म दिन पे मिल गई छुट्टी
उमरानाला की ओर चला उड़ कर गुब्बारा
आसमान ने कम कर लिया हमको देख अपना पारा
उमरा नदी के तट पे उतरा गुब्बारा
मैंने बताया परी ये उमरा नदी है
उमरा नदी में हमने पानी के खेल किए
ठंडे ठंडे पावों से हम चल पड़े घुमने उमरानाला
छुक छुक करती गाड़ी देखी
रेलवे स्टेशन देखा
रेल में बैठ के चलते हैं /परी ने मुझसे कहा
मैंने कहा पहले गाँव देख ले
घूम ले इसको सारा
परी तनु जय बोले सोचा अच्छा प्यारा प्यारा
मन्दिर देखा स्कूल भी देखा
ताऊ का मैदान भी देखा
खेत भी देखे बाज़ार भी देखा
उमरानाला की लाल मिटटी
मंगल जैसी लगती है
यहाँ की शाम भी खूब लगती है
सिल्लेवानी के जंगल से आए
हाथी भालू और बंदर चिडिया और तोता
परी के जन्म दिन पर आए कितने ही मेहमान
सबने मिलकर खाए ढेर से पकवान
भालू ने गिटार बजाया हाथी सूंढ़ उठा के बोला
चिडिया बोली चूं चूं HAPPY BIRTH DAY TO YOU !!
सबने मिलके केक भी खाया /परी जय तनु को
ये दिन बहुत भाया ।
परी तनु जय के संग सैर सपाटा
होता रहेगा रोज़ हमारा
(परी तुमको जन्म दिन पर ढेर सारा प्यार /दुआ करो खुश रहे ये सारासंसार .
अमिताभ"ताऊ" )
(नीचे सागर चाचू की रचना भी है परी के लिए .सागर चाचू से मिलने दिल्ली आना साथ में एक बिल्ली भी लाना सागर चाचू देंगे तुम्हे जन्म दिन की बधाई !!)


"परी के लिए सागर चाचू "

आसमान से एक परी
एक दिन मेरे घर आ उतरी


है प्यारी-प्यारी
, उजली-उजली
मीठी-मीठी
, इसकी बोली


बेसब्री थी मुद्दत से
, पात-पात ये
हरियाली जिसकी होती खोली


परी सबका मन भाती-गाती
ले आई ख़्वाबों की झोली


आज जन्म दिन पे इसके
तोहफा हंसी-खुशी का दें


देती सबको खुशियाँ ऐ
"परी"
हम इसकी हंसी जग को बांटे

जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं Dear "परी "( अमित के सागर चाचू )

परी को

Happy Birth Day !!हम सभी की ओर से

बुधवार, 20 अगस्त 2008

वी सी आर (समापन किस्त)


जोगी के इस फरमान के बाद गीता के पिता की चिंता बढ़ गईये भी सौभाग्य की बात ही थी की गीता के मामा (जो उमरानाला में पोस्ट मैन है ) घर पर ही थे .उन्होंने कूटनीतिक तरीके से इस मसले को हल करने के लिए जोगी को कहा ठीक है हम दोनों मिलकर विडियो का धंधा शुरू करेंगेलेकिन फिलहाल अब तुम सारी परेशानियों को भूलकर शादी की तैयारी में जुट जाओगीता के मामा की बात जोगी को भरोसे वाले इसलिए भी लगी क्योंकि गीता के सभी रिश्तेदारों में गीता के मामा काफी संपन्न थेप्रकाश के साथ जोगी वापस घर गया
सातवे दिन जोगी के घर फलदान (वर पक्ष की सगाई )का कार्यक्रम थाजोगी ने गुलाबी रंग की शर्ट और भूरे रंग का पैंट पहना हुआ थासर पर जोगी के टोपी पहनाई गईफलदान की रस्म शाम तक हिवरा में चलती रहीजोगी ने घर वालों और मेहमानों की नज़र से बच कर गीता के मामा शिवराम से एक बार फ़िर वीडियो की बात कीउन्होंने उसे पूरा आश्वासन दियाजोगी ने उनकी बात को ब्रह्म वाक्य मान कर भोले से बच्चे की तरह पूरा यकीन कर लियागीता के मामा ने जोगी के पिता को पहले ही समझा दिया था ,जोगी ये जिद गुस्से में कर रहा है .शादी के बाद वो ख़ुद ही समझ जाएगा
आख़िर वो घडी ही गयी ..जोगी की बारात ढोल बजे के साथ हिवरा से निकलीकोट पैंट पहनकर जोगी फ़िल्म का हीरो लग रहा थाजोगी की बारात में जैसे पूरा हिवरा उमड़ पड़ाजोगी शादी के शामियाने में दाखिल हुआउसने सरसरी तौर पर दहेज़ के सामान पर चोर नज़रों से निगाहे गड़ाईदहेज़ का सामान सजा धजा के मंडप में रखा थासाइकल , पलंग ,बर्तन भांडे ,एक रेडियो दीवाल घडी , गुलाबी पीले रंग के कागजों में लिपटा छोटा बड़ा सामानउसे दहेज़ में कहीं भी विडियो जैसी कोई चीज़ दिखाई नही दे रही थीजोगी ने मंडप में ही प्रकाश को गुस्से में कहा ये तो धोखा है ? प्रकाश अब चाह के भी जोगी को समझा नही पा रहा था .वहीं गीता के मामा जोगी से नज़र बचाकर मंडप में इधर से उधर भागते रहेअनमने ढंग से जोगी शादी की रस्मों को निभाता रहाउसे बार बार ख़ुद पर और प्रकाश पर गुस्सा रहा था

गीता को भी पूरे समारोह में वो दुश्मनी के भावसे देखता रहागीता को जोगी का यह पूरा माज़रा अब भी समझ नही रहा थाभोर में गीता और जोगी की विदाई कर दी गयीगीता ससुराल में गयीयहाँ पर भी दिन भर रस्मे चलती रही .जोगी के अच्छे गुणों की तारीफ में महौल्ले की महिलाओं ने उसे बतायाजोगी की हीरोगिरी के ये किस्से उसे अच्छे लग रहे थेलेकिन गीता और जोगी के बीच कोई भी औपचारिक संवाद अब तक नही हुआ .गीता को यही बात चिंतित कर रही थीरात जोगी अपने कमरे में जाकर बिना कुछ बात किए ही सो गयागीता को लगा शायद वो थका हैगीता ने उससे पूछा क्या आपकी तबियत ख़राब है ? जोगी ने आव देखा ताव गीता पर अपना सारा गुस्सा उडेल दिया उसने गीता को कहा तुम सब लोग धोखेबाज हो ? मेरे दहेज़ का विडियो कहाँ है ? जिस दिन तुम्हारे घर वाले विडियो दे दे उस दिन मेरे घर जाना
पहली रात में गीता के लिए ये बात बड़ी अनहोनी थीसजन का ऐसे रूठ जाना वो करती भी तो क्यागीता की पूरी रात सुबकते बीतीदूसरे दिन गीता को उसके घर से लेने गीता के मामा और भाई आएजोगी ने उन्हें साफ साफ कह दिया जिस दिन आपके पास विडियो जाएगा मैं गीता को लेने जाऊंगागीता को गए दो महीने हो चुकेइधर दो महीनों में जोगी की जिंदगी में मुफलिसी का आलम रहाजोगी ने उमरानाला जाना भी छोड़ दिया था .गाँव में भी वो कम ही बैठता उठता थाप्रकाश ने उसे समझाने की बहुत कोशिशे की .उसे भी लगा एक दिन जोगी ख़ुद ही समझ जाएगादो महीने से जोगी के दहेज़ का सामान ज्यों का त्यों पड़ा रहाउसकी शादी का एल्बम लेकर सुनील एक दिन हिवरा आयाजोगी ने पूरा एल्बम सुनील के साथ हिवरा में उमरा नदी के तट पर बैठकर देखागीता तस्वीरों में बहुत खूबसूरत लग रही थीवो सुनील के साथ काफी दिनों बाद उमरानाला आयाजोगी को गाँव में देखकर जी (विडियो के मालिक ) ने उसे रोककर कहा कल से काम पर जानातुम्हारे साथ जो हुआ उसके लिए मैं तुम से माफी मागंता हूँ .जोगी जी की बहुत इज्ज़त करता थाबढे हुए वेतन के साथ जोगी को काम का ये प्रस्ताव पसंद गया .उसने जी से कहा मैं तीन रोज़ बाद काम पर आऊंगाप्रकाश के साथ जोगी गोह्जर गया .वो गीता को पूरे प्यार और सम्मान के साथ लेकर घर आया .बहु की अचानक आमद से घर वाले भी बहुत खुश थे

जोगी ने पहली बार दहेज़ के सामान को छुआ गीता के साथ जोगी ने दहेज़ का सामान जमायारात में जोगी ने दहेज़ के रेडियो को चालू कर दियाविविध भारती पर हल्का संगीत पूरे आलम को मेहकाने लगाजोगी ने अपने कमरे की खिड़की खोल दी थी .... चाँदनी रात में उमरा नदी को दिखाते हुए उसने गीता को कहा कल मेरे साथ नदी देखने चलनाछिंदवाडा में कल पिक्चर भी देखने चलेंगेदो महीने बाद गीता जोगी की बाँहों में थीजोगी ने उसे बड़े प्यार से कहा गीता ..तू ही मेरी टीवी है तू ही मेरी बीवी है और तू ही मेरा वी सी आर .... । जीवन में भौतिक चीज़ों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है प्यार । प्यार जीवन का सार है जोगी ये जान चुका था । सारी रात उमरा नदी में चाँद डूबता उतरता रहा ... (कहानी शुरू हुई )

"जोगी के वो दो महीने "

वी सी आर कहानी लिखते हुए मुझे हमेशा ऐसा लगा कि शादी के बाद जोगी के गीता के बिना दो महीने का जीवन कैसा रहा होगा । चूँकि इस कहानी को जल्दी समापन की ओर ले जाना था ,इसकी अन्तिम कड़ी भी आप को सौपं दी । लेकिन जोगी की फ़िल्म की कुछ रीले मेरे पास रह गई .अपने मित्रो की सलाह पर मैं इसे बोनस रीडिंग के वास्ते आप सब को नज़र कर रहा हूँ । "जोगी के दो महीने "वी सी आर कहानी के वो चंद पन्ने हैं , जो पहले आप तक नही पहुंचे ।

(अमिताभ )

जोगी ने जब गीता को सुहागरात के दूसरे दिन ही अपने घर से निकला तो उस समय उसके मन में आने वाले मुफलिसी के दौर का ज़रा भी एहसास नही था । उस वक्त वो बेहद गुस्से में था .उसे लगा कि उसे मिलकर गीता के परिजनों ने धोखा दिया है । करीब एक हफ्ता तो जोगी को गीता कि जुदाई महसूस ही नही हुई । दिन भर वो हिवारा में अपने खेतो में आवारा सा घूमता रहता । प्रकाश भी यदा कदा ही उसके सामने गीता का जिक्र करता । क्योंकि उसे भी लगने लगा था कि जोगी को समझना अब ब्रम्हा के बस में भी नही है । खेतों में खाली घूमने से उसे एक तरह से बोरियत सी होने लगी थी । पास पड़ोस के लोग भी पीठ पीछे उसके और गीता के संबंधों को लेकर बाते करने लगे थे । कुछ लोग रोजाना शाम को जोगी को समझाने के बहाने उसके घर में आते और दाढ़ गीली कर मुहं दबाके हस्ते हुए चले जाते थे । जोगी का किस्सा अब मशहूर हो चुका था । उसकी नौकरी चली गई ..और उसकी बीवी भी । जोगी को समाज दया के भाव से देखता था । ऐसा इसलिए नही कि समाज के भीतर उसके प्रति वास्तव में दया का कोई भाव था ..बल्कि उसकी मुसीबतों के ये पल लोगो के लिए मनोरजन का अच्छा जरिया थे । विडियो में काम करते हुए लोगो को फ़िल्म दिखा कर जोगी उनका मनोरंजन करता था .लेकिन अब वो ख़ुद ही बहुत बड़ा मनोरंजन बन गया .

प्रकाश के अलावा जोगी केवल उमरा नदी को ही अपना सच्चा साथी मानता था । वो सूखी उमरा नदी के किनारे बैठकर अपने सुख के पलों का इंतजार करता । गाँव के लोग उसे गाहे बगाहे आके बताते कि आज विडियो में ये फ़िल्म लगी है । जोगी हीरो हिरोइन की कास्टिंग फ़िल्म के नाम को गौर से सुनता , फ़िर जैसे कुछ सुना ही नही वो वहां से चला जाता । विडियो में लगी फ़िल्म का खाका वो अपने दिमाग में बुनने लगता .और ख़ुद को ही घंटों बताता कि ये फ़िल्म चलेगी या नही । शक्ति कपूर ज़रूर इज्ज़त लूटने की कोशिश करेगा सोचकर कभी कभी वो मुस्कुरा भी देता । बीच बीच में वो छिंदवाडा भी चला जाता . लेकिन उमरानाला बस स्टैंड पर खड़े खड़े वो भूल कर भी विडियो के पोस्टर को नही देखता । जोगी बस स्टैंड के पास एक होटल में अन्दर की तरफ़ छिपकर बैठा रहता । ताकि उसे कोई भी देख न ले । जोगी ने अपने इर्द गिर्द एक दायरा बना लिया था .इस दायरे में उसे रह रह कर वी सी आर की कमी भी महसूस होती.

गोह्जर में गीता के दुखों के पल भाभी के साथ बीतते थे । भाभी उसे भरोसा देती एक दिन जोगी को अपनी गलती का एहसास होगा । वो तुझे लेने ज़रूर आएगा .भाभी उसे समझाती कि वो दिल का बुरा आदमी नही है । भाभी कि बातों से गीता का हौसला और जोगी के लिए उसका भरोसा मज़बूत हो जाता । गीता दसवी तक उमरानाला में ही पढ़ी थी .भाभी ने उसे सलाह दी कि वो आगे की पढ़ाई को जारी रखे । गीता ने पत्राचार से बारहवी की परीक्षा देने का मन बना लिया ।जोगी की फोटो को वो घंटो निहारती । लेकिन यहाँ जोगी ने गुस्से में गीता की तस्वीर भी अपने पर्स से फेक दी थी । जोगी को धीरे धीरे वास्तविकता का एहसास होने लगा । जोगी अपने रिश्तेदार की शादी में बिछुआ गया जहाँ उसे लोगो ने टोक ही दिया बहु कहाँ है । जोगी को ये सवाल अंदर तक भेद गया । रिश्ते में जोगी की दूर की मामी ने उसे कहा कि बेटा शादी के बाद आदमी को जोड़े के साथ ही रिश्तेदारी में निकलना चाहिए । शादी के बाद मर्द अकेला घूमे तो लोग बातें बनते हैं .जोगी ने कहा हाँ जी लेकिन ऐसी कोई बात नही है ।धीरे धीरे लोग भी उससे किनारा करने लगे थे ।

बारिश शुरू होने वाली थी . जोगी ने अनमने ढंग से ही खेती में ध्यान देना शुरू किया . खेतों में हल चलते हुए उसे न जाने कितने दिन हो गए थे इसलिए शुरू शुरू में उसे ये सब ठीक नही लग रहा था .दिन भर खेतों में काम करने के बाद कम से कम रात में उसे ठीक ठाक नीद ज़रूर आ जाती थी . बारिश का मौसम शुरू होते ही उमरा नदी में भी पानी आ गया . पानी से बहती हुई नदी उसे अच्छी लगने लगी . जोगी ने मुरारी पंडित से भी अपनी तकदीर के बारे में पूछा मुरारी पंडित ने कहा जोगी बहुत जल्द सबकुछ ठीक हो जाएगा .मुरारी को ग्यारह रुपयों की दक्षिणा देकर उसे लगा जैसे उसने भगवान् और रूठे ग्रहों को मना लिया है . मुफलिसी के दौर में जोगी को अपने अच्छे और बुरे दोस्तों की पहचान भी बखूबी हो गई .एक दफे गीता के मामा से उसका सामना गाँव की चौपाल में हो गया . उन्हें देख कर उसके जख्म फिर ताज़ा हो गए . ऐसा नही था की जोगी को गीता की याद नही आती थी . गीता को याद भी करता ...लेकिन । जोगी को सब समझ आ रहा था लेकिन फिर भी वो वी सी आर की जिद में अपने दिल की आवाज़ को सुन नही पा रहा था.(मुझे अब भी लगता है कि जोगी की जिंदगी के इन दो महिनों को एक बार फिर झांक के देखा जाए .जोगी के इन दो महीने का ज़िक्र अभी भी लगता है जैसे बाकी है !)

शनिवार, 9 अगस्त 2008

वी सी आर (पाँच)


जोगी की जिंदगी दिन दिन गुले गुलज़ार हो रही थी बीच में प्रकाश के हाथो उसने अपनी एक तस्वीर गीता (अब पारो .पार्वती ) के लिए भिजवा दी चटक लाल रंग की टी शर्ट और उस पर पीले काले पट्टो वाला मफलर गले में डाले जोगी की ये सबसे पसंदीदा फोटो थी गीता की भाभी ने उसे फोटो दिखाकर खूब चिढाया गीता के दिल से भी निकला मेरा सजन मेरा मिथुन दोनों घरों में शादी की तैयारियां शुरू हो गई इधर जोगी के ससुर शनिवार के बाज़ार के दिन अपने होने वाले दामाद के लिए सूट का कपड़ा आदि लेने गए .शादी में सूट चूँकी जोगी ही पहनेगा सो .गाँव के रिवाज़ दस्तूर के मुताबिक उसकी पसंद का कपड़ा लिवाने वे उसे उमरानाला की सबसे अच्छी दुकान पर ले गए करीब डेढ़ दो घंटे की मगजमारी के बाद जोगी ने प्रकाश और अपनी पसंद से सूट के लिए कपड़ा पसंद कर लिया
प्रकाश ने सुझाव दिया कि जूते के पैसे आप नगद दे दो .जोगी और मैं कल छिंदवाडा से खरीद लेंगे उमरानाला में जूते की क्वालिटी अच्छी नही मिलती है सखाराम जी ने जूते के पैसे (कुछ बढ़ा कर शायद इसमे छिदवाडा आने जाने ,टाकिज में फ़िल्म देखने , चाय नाश्ता आदि शामिल करके ) जोगी के हाथ में रख दिए .झिझकते हुए जोगी ने रुपये जेब में डाल लिए अपने होने वाले ससुर और उनके साथ आए लोगो के साथ जोगी ने चाय नाश्ता किया उनकी विदाई के बाद जोगी शाम के वक्त अख्तर टेलर की दुकान में कपडे लेकर अपना नाप जोख देने चला गया आदत के मुताबिक अख्तर ने पहले तो कपडे की क्वालिटी की खूब तारीफ की .साथ ही उसने जोगी के ड्रेस सेंस को लेकर तारीफ़ के कसीदे भी कास दिए .शादी कब की है ? जोगी ने कहा १५ मई की बारात और १२ का फलदान है अख्तर ने कहा १० को काम ओके मिलेगा राजेश की दुकान से उसने चाय मंगवाई सूट की सिलाई की पेशगी देकर जोगी फ़िर विडियो गया शनिवार के दिन विडियो में खासी भीड़ होती है शनिवार का बाज़ार विडियो के पीछे लगता था
शादी के दिन नज़दीक आते जा रहे थे इधर जोगी की व्यस्तता भी बढ़ रही थी। शादी के कुछ काम जैसे कार्ड बाटना आदि उसने अपने चेलो को सौप दिया .उसने केवल कुछ खास घरों के कार्ड अपने पास रख लिए ।विडियो के कम जब जब थोडी फुर्सत मिलती जोगी प्रकाश के साथ कार्ड बांटने के लिए निकल पड़ता रात में बारह का शो खत्म हो जाने के बाद जोगी कभी -कभी अंगरेजी फिल्में देखने लगा .ऐसा नही था की जोगी को इंग्लिश आती थी प्रकाश के सुझाव के मुताबिक ऐसी फिल्मे वो अपने विशेष ज्ञान को बढाने के लिए देखने लगा था ..जो उसके इस्तेमाल में जल्द ही आने वाला है जोगी की नींदे धीरे धीरे उड़ने लगी ,नीद आए तो मीठे सपने लाये जोगी की हालत कुछ ऐसी हो गई कि रात में नीद नही और दिन में सपने ही सपने। शादी के कार्ड बांटते हुए जोगी ने दो तीन दफे गोहजर के भी फेरे मार लिए लेकिन केवल एक ही बार उसे गीता का दीदार हुआ जोगी को गाँव में अचानक देख कर गीता शर्मा गई प्रकाश के पीछे गाड़ी में बैठे गीता ने अपनी लम्बी जुल्फों में हाथ फेरकर गीता को इशारा किया गीता ने सादगी भरी मुस्कान से अपने हीरो को प्यार का पैगाम दे दिया दोपहर का वक्त था गाँव की सड़क सुनसान थी गरमी की लू में उडती लाल मिटटी की धूलि गीता के चेहरे पर गई ...गीता शरमा कर चली गयी .
शादी से कुछ ही रोज़ पहले की घटना है जोगी की जिंदगी में एक तूफ़ान गया हैप्पी मोड़ में चल रही जोगी की लाइफ में अचानक एक ट्विस्ट गया विडियो में शनिवार के दिन आंधी तूफ़ान फ़िल्म लगी इसका कैसेट जोगी शुक्रवार को छिंदवाडा से लेकर या था उसके बारे में मशहूर था की वो कैसेट को हाथ में रख कर ही उसकी क्वालिटी को बता देता था उसके पूरे करीअर में सबसे बड़ी भूल हो गई शनिवार का दिन विडियो में सबसे ज़्यादा कमाई का दिन होता था ख़राब क्वालिटी की प्रिंट वाली आंधी तूफ़ान फ़िल्म की इस कैसेट से वीसीआर में बड़ी तकनीकी खराबी गई विडियो बंद करना पड़ गया सबसे ज़्यादा कमाई वाले दिन विडियो के बंद हो जाने से विडियो मालिक के बड़े बेटे और जोगी के बीच बवाल हो गया .गुस्से में मोती (विडियो मालिक के बड़े बेटे ) ने जोगी को दो तमाचे रसीद कर दिए जोगी के पैरों तले ज़मीन सरक गयी कैसेट के ग्लीच वीसीआर की गडबडी उसके मास्टर प्रिंट जीवन में कहर बरपा गए
तैश में जोगी विडियो से चला गया विडियो जिसे जोगी अपना सब कुछ मानता था .वहाँ से उसकी इस तरह रुखसत से उसके चेलों को भी बहुत दुःख हुआ उसने अपने चेले से कहा प्रकाश आएगा तो उसे उमरा नदी पर भेज देना उमरा नदी के तट पर बैठकर शनिवार का बाज़ार करके जाने वाले लोगो को वो देखने लगा सड़क के पुल पर काफी शोर था .लेकिन उमरा नदी के बहते जल को आँख गडाकर देखते हुए जोगी अपने गम को पानी के बहाव के साथ बहने की कोशिश करने लगा प्रकाश जोगी के पास गया ,उसने फफक फफक कर अपना दर्द उसके सामने बयाँ किया प्रकाश ने उसे दिलासा देते हुए कहा मोती क्या जाने विडियो चलाना ..तेरे बिना उनका विडियो चल भी नही पायेगा .तू फ़िक्र मत कर "जी" (विडियो के मालिक को पूरा गाँव जी कहता है ) को जाने दे .तुझे काम "जी " ने दिया था। जो होता है अच्छे के लिए ही होता है प्रकाश ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि वो सब दौडे दौडे तेरे पास ही आयेंगे लेकिन जोगी का मन इन दिलासों से ख़ुद को मनाने के लिए राजी हुआ डूबते सूरज की लाल आभा को उमरा की लहरों में निहारते हुए प्रकाश से कहा कि प्रकाश अब गाँव में जोगी विडियो खोलेगा मैं अब अपना विडियो लाऊँगा इन सब की छुट्टी कर दी तो मेरा नाम भी जोगी नही
उसने कहा कल तू गोह्जर जा और मेरे ससुर से कह मुझे दहेज़ में विडियो चाहिए प्रकाश ने उसे समझाया हमारे जैसे लोग आख़िर विडियो कैसे खरीद पाएंगे तू अभी गुस्से में है इसलिए शायद ऐसा कह रहा है .प्रकाश ने कहा लेकिन जोगी अपनी जिद पर अड़ गया उसने कहा अगर तू नही कह सकता तो बता दे , मैं ख़ुद जाकर उनको कह कर आता हूँ रात होते होते तक जोगी को विडियो से निकालने की चर्चा हिवरा तक जा पहुँची जोगी ने प्रकाश के साथ ढाबे पर बैठकर बीअर पी फ़िर देर रात वो हिवरा गए जोगी ने अपने पिता को रात में ही अपना फरमान यानी अरमान सुना दिया .पिता ने उसे समझाया ये बेकार की जिद है तुम खेतों में काम करो मेहनत करो लेकिन किसी की भी बात उसे समझ नही रही थी
रात में प्रकाश जोगी के घर ही रुक गयादूसरे दिन उसे जोगी की जिद के आगे हारना पड़ा .वो उसे लेकर गोह्जर गयासगाई (फलदान) के ठीक सात दिन पहले होने वाला दामाद ससुराल भला क्यों गयागीता के पिता को काफी चिंता हुईउसकी नौकरी जाने की ख़बर उन्हें सुबह ही मिल चुकी थीउन्होंने जोगी को पिता की भांती समझाते हुए कहा कि तुम कोई और काम कर लेनाजोगी ने उनसे साफ साफ कह दिया कि उसे दहेज़ में वीसीआर और टीवी चाहिएवो विडियो का धंधा शुरू करेगा(समापन किस्त अगले हफ्ते ज़रूर पढ़े )