जब गाँव से कोई शहर मे आता है, गाँव की मिटटी की खुशबू और, यादो की पोटली भी लाता है . उमरानाला पोस्ट यादों की गठरी मे से निकली कुछ बाते है .उमरानाला की लाल मिटटी की खुशबू है, जिसे मैं अखिल ब्रह्माण्ड मे कहीं भी कभी भी महसूस कर सकता हूं .
बुधवार, 20 अगस्त 2008
वी सी आर (समापन किस्त)
जोगी के इस फरमान के बाद गीता के पिता की चिंता बढ़ गई । ये भी सौभाग्य की बात ही थी की गीता के मामा (जो उमरानाला में पोस्ट मैन है ) घर पर ही थे .उन्होंने कूटनीतिक तरीके से इस मसले को हल करने के लिए जोगी को कहा ठीक है हम दोनों मिलकर विडियो का धंधा शुरू करेंगे । लेकिन फिलहाल अब तुम सारी परेशानियों को भूलकर शादी की तैयारी में जुट जाओ । गीता के मामा की बात जोगी को भरोसे वाले इसलिए भी लगी क्योंकि गीता के सभी रिश्तेदारों में गीता के मामा काफी संपन्न थे । प्रकाश के साथ जोगी वापस घर आ गया ।
सातवे दिन जोगी के घर फलदान (वर पक्ष की सगाई )का कार्यक्रम था । जोगी ने गुलाबी रंग की शर्ट और भूरे रंग का पैंट पहना हुआ था । सर पर जोगी के टोपी पहनाई गई । फलदान की रस्म शाम तक हिवरा में चलती रही । जोगी ने घर वालों और मेहमानों की नज़र से बच कर गीता के मामा शिवराम से एक बार फ़िर वीडियो की बात की । उन्होंने उसे पूरा आश्वासन दिया । जोगी ने उनकी बात को ब्रह्म वाक्य मान कर भोले से बच्चे की तरह पूरा यकीन कर लिया । गीता के मामा ने जोगी के पिता को पहले ही समझा दिया था ,जोगी ये जिद गुस्से में कर रहा है .शादी के बाद वो ख़ुद ही समझ जाएगा ।
आख़िर वो घडी आ ही गयी ..जोगी की बारात ढोल बजे के साथ हिवरा से निकली । कोट पैंट पहनकर जोगी फ़िल्म का हीरो लग रहा था । जोगी की बारात में जैसे पूरा हिवरा उमड़ पड़ा । जोगी शादी के शामियाने में दाखिल हुआ । उसने सरसरी तौर पर दहेज़ के सामान पर चोर नज़रों से निगाहे गड़ाई । दहेज़ का सामान सजा धजा के मंडप में रखा था । साइकल , पलंग ,बर्तन भांडे ,एक रेडियो दीवाल घडी , गुलाबी पीले रंग के कागजों में लिपटा छोटा बड़ा सामान । उसे दहेज़ में कहीं भी विडियो जैसी कोई चीज़ दिखाई नही दे रही थी । जोगी ने मंडप में ही प्रकाश को गुस्से में कहा ये तो धोखा है ? प्रकाश अब चाह के भी जोगी को समझा नही पा रहा था .वहीं गीता के मामा जोगी से नज़र बचाकर मंडप में इधर से उधर भागते रहे । अनमने ढंग से जोगी शादी की रस्मों को निभाता रहा । उसे बार बार ख़ुद पर और प्रकाश पर गुस्सा आ रहा था ।
गीता को भी पूरे समारोह में वो दुश्मनी के भावसे देखता रहा । गीता को जोगी का यह पूरा माज़रा अब भी समझ नही आ रहा था । भोर में गीता और जोगी की विदाई कर दी गयी । गीता ससुराल में आ गयी । यहाँ पर भी दिन भर रस्मे चलती रही .जोगी के अच्छे गुणों की तारीफ में महौल्ले की महिलाओं ने उसे बताया । जोगी की हीरोगिरी के ये किस्से उसे अच्छे लग रहे थे ।लेकिन गीता और जोगी के बीच कोई भी औपचारिक संवाद अब तक नही हुआ .गीता को यही बात चिंतित कर रही थी । रात जोगी अपने कमरे में जाकर बिना कुछ बात किए ही सो गया । गीता को लगा शायद वो थका है । गीता ने उससे पूछा क्या आपकी तबियत ख़राब है ? जोगी ने आव देखा न ताव गीता पर अपना सारा गुस्सा उडेल दिया उसने गीता को कहा तुम सब लोग धोखेबाज हो ? मेरे दहेज़ का विडियो कहाँ है ? जिस दिन तुम्हारे घर वाले विडियो दे दे उस दिन मेरे घर आ जाना ।
पहली रात में गीता के लिए ये बात बड़ी अनहोनी थी । सजन का ऐसे रूठ जाना वो करती भी तो क्या ।गीता की पूरी रात सुबकते बीती । दूसरे दिन गीता को उसके घर से लेने गीता के मामा और भाई आए । जोगी ने उन्हें साफ साफ कह दिया जिस दिन आपके पास विडियो आ जाएगा मैं गीता को लेने आ जाऊंगा ।गीता को गए दो महीने हो चुके । इधर दो महीनों में जोगी की जिंदगी में मुफलिसी का आलम रहा । जोगी ने उमरानाला जाना भी छोड़ दिया था .गाँव में भी वो कम ही बैठता उठता था । प्रकाश ने उसे समझाने की बहुत कोशिशे की .उसे भी लगा एक दिन जोगी ख़ुद ही समझ जाएगा । दो महीने से जोगी के दहेज़ का सामान ज्यों का त्यों पड़ा रहा । उसकी शादी का एल्बम लेकर सुनील एक दिन हिवरा आया । जोगी ने पूरा एल्बम सुनील के साथ हिवरा में उमरा नदी के तट पर बैठकर देखा । गीता तस्वीरों में बहुत खूबसूरत लग रही थी । वो सुनील के साथ काफी दिनों बाद उमरानाला आया । जोगी को गाँव में देखकर जी (विडियो के मालिक ) ने उसे रोककर कहा कल से काम पर आ जाना । तुम्हारे साथ जो हुआ उसके लिए मैं तुम से माफी मागंता हूँ .जोगी जी की बहुत इज्ज़त करता था । बढे हुए वेतन के साथ जोगी को काम का ये प्रस्ताव पसंद आ गया .उसने जी से कहा मैं तीन रोज़ बाद काम पर आऊंगा । प्रकाश के साथ जोगी गोह्जर गया .वो गीता को पूरे प्यार और सम्मान के साथ लेकर घर आया .बहु की अचानक आमद से घर वाले भी बहुत खुश थे ।
जोगी ने पहली बार दहेज़ के सामान को छुआ गीता के साथ जोगी ने दहेज़ का सामान जमाया । रात में जोगी ने दहेज़ के रेडियो को चालू कर दिया । विविध भारती पर हल्का संगीत पूरे आलम को मेहकाने लगा । जोगी ने अपने कमरे की खिड़की खोल दी थी .... चाँदनी रात में उमरा नदी को दिखाते हुए उसने गीता को कहा कल मेरे साथ नदी देखने चलना । छिंदवाडा में कल पिक्चर भी देखने चलेंगे । दो महीने बाद गीता जोगी की बाँहों में थी । जोगी ने उसे बड़े प्यार से कहा गीता ..तू ही मेरी टीवी है तू ही मेरी बीवी है और तू ही मेरा वी सी आर .... । जीवन में भौतिक चीज़ों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है प्यार । प्यार जीवन का सार है जोगी ये जान चुका था । सारी रात उमरा नदी में चाँद डूबता उतरता रहा ... (कहानी शुरू हुई )
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2 टिप्पणियां:
वाह.. समापन किस्त तो सच में जबरदस्त रही.. ढेर सारे ट्वीस्टों के साथ..
सच में मजा आ गया.. :)
बहुत ही रोचक कथा रही ये आपकी...और अंत बहुत सुखद...उम्मीद है ऐसी कहानियाँ और भी पढने को मिलेंगी.
नीरज
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