आजी अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी कि रामदीन (आजा) इस उलझन से दूर हो जाए .रामदीन जब भी प्रलय की बात करता वो बात को पलट देती । रामदीन ने एक रात जल्दी दुकान बंद कर दी । वो घर के आँगन में बैठकर आसमान को देख रहा था .उधर रसोई में आजी उसके लिए खाना बना रही थी । रसोई से निकलता धुआं और खाना के बेहतरीन खुशबू पूरे माहौल में तैर रही थी । आसमान की तरफ़ देखते हुए आजा अपने अतीत को देखने लगा । तिनका तिनका जोड़ कर उसने अपनी ज़िन्दगी का ताना बाना बुना था । उसे अपने अच्छे और बुरे दोनों ही दिन एक एक करके याद आ रहे थे । मीरा और शीला की शादी के पल भी बेटियों को याद करते वो भावुक हो गया .उसकी आँख से टपकते आंसू आसमान ने ही देखे । फ़िर अचानक वो आसमान को देख खौफ खाने लगा ..आसमानी आफत इसी आसमान से ज़मीन पर आने वाली थी ..प्रलय में कुछ दिन बचे हैं दुनिया खात्मे की और बढ़ चुकी है । भगवान् क्या इसी दिन के लिए इस दुनिया को बनाया ? वो मन ही मन सवाल करने लगा । उसे अपनी मनपसंद आलू की खीर भी आज पसंद नही आई । उसे खाना कसैला लग रहा था । चाँद से पीली धूल उड़ने लगी आजा घर के बाहर फिर एक बार आया । काली बिल्ली की चमकती आँखे देख वो डर गया रात में उसे पीला चाँद और बिल्ली की काली आँख ही नज़र आ रही थी .वो तेज़ी से एक बार फिर बिल्ली की तरफ दौड़ा ...
अगली सुबह उसने आजी से कहा मैं ज़रूरी काम से छिंदवाडा जा रहा हूँ .तू दुकान जल्दी आ जाना मेरा खाना भी दुकान में ले आना । लगभग दस बजे के आस पास आजी दुकान आ गई । आजा मोहन बाबू के साथ छिंदवाडा चला गया .रास्ते भर दोनों के बीच में प्रलय की ही बातें होती रही । चार दिन बाद प्रलय होगा । छिंदवाडा कचहरी में उसने अपनी पूरी जायजाद अपनी बेटियों के नाम लिख दी । ये सोचकर प्रलय के बाद अगर बेटियाँ बच जायेगी तो उनका क्या होगा ? शाम को वो घर आ गया । रात नौ बजे की गाड़ी से उसने यवतमाल जायजाद के कागज़ भिजवा दिए । उसका एक दामाद महाराष्ट्र रोडवेज यवतमाल में ऑफिस क्लर्क था । उसने आजी को बताया मैंने अपनी पाई पाई बेटियों के नाम लिख दी है क्यों ठीक किया न ..आजी ने उसे कहा बेटियों के सिवा इस दुनिया में हमारा कौन है ।
इस रात उसे थोडी चैन की नींद आई । मुरारी पंडित को उसने दान में गाय भी दे दी .वो तेज़ी से अपनी जिम्मेदारियां पूरी करता जा रहा था । और प्रलय का दिन आ गया ...अखबार के बड़े बड़े हर्फ़ आज रात दुनिया खत्म हो जायेगी ! उसने शाम तक प्रलय की खूब बातें सुनी .बाज़ार चौक के मन्दिर में अखंड रामायण का पाठ किया जा रहा था .भजन कीर्तन पूरे गाँव में जोरो से चल रहे थे । प्रलय को टालने की इंसानी कोशिशों पर उसे हसी सी आई । तन्हाई में वो सीता राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण जोर जोर से जपने लगा .उसे लगा वो अपना मानसिक संतुलन खो रहा है .वो घर आ गया उसने आनंद के साथ रात का खाना खाया आजी से मजाक भी की .दोनों खूब हसे । आधी रात को उसने आजी से कहा मेरे लिए चाय बना दे । आजी ने कहा सुबह पी लेना .वो जिद पर अड़ गया .आजी चाय बनाने के लिए उठी .चूल्हे की आग में आजा एक एक कर रुपये जलाने लगा आजी से कहा अब ये रूपये किसी काम के नही ...कुछ देर में दुनिया खत्म हो जायेगी आजी उसे रोक भी नही पा रही थी .दोनों ने चाय पी उसने राम को याद किया ।
सुबह का सूरज धीरे धीरे आने लगा । भजन कीर्तन अखंड रामायण का शोर थमने लगा । लोगो में उत्त्साह था रामजी ने दुनिया को बचा लिया .प्रलय नही आया । सुबह आजा की नींद खुली उसे विश्वास नही हुआ कि दुनिया में वो जिंदा है । उसने आजी को कहा प्रलय नही आई हम जिंदा है .जय घनश्याम जय राधेश्याम ... आजा की खुशी का कोई ठिकाना नही था .आजी ने भी कहा चलो प्रलय के बहाने ही सही तुमने बेटियों के नाम जायजाद लिख तो दी । मैं तो बोल बोल के थक गई ।
आजा दुकान में आ गए । उन्होंने पूरे दिन प्रसाद बाटा । अखबार को उन्होंने चूल्हे में जला दिया । अखबार की गाड़ी वाले से शाम को कह दिया मेरी दुकान में कल से अखबार का बण्डल मत डालना । सब झूठ लिखते हैं ..अखबार नही बकवास है ..। प्रलय तो प्रभु की माया है । प्रलय किसी अखबार वाले को बताकर दुनिया में नही आएगी .मोहन बाबू भी ज़ोर से हसे ..आजी भी हसी
4 टिप्पणियां:
अखबार नही बकवास है
bilkul sahi
mere post pur bhi yahi he
makrand-bhagwat.blogspot.com
नोट सारे जला दिये और अब अगर दामाद आजा को भगा कर घर बेच दें, तो अखबार के चक्कर में आजा आजी का तो प्रलय आ ही गया, समझो!!!
dubey ji ramdin kh zindagi aakhir aap ne bacha le.yeh lekhak bh kammal hota h aapne kirdaroo ki kismat lekhta h..aur aapni kismat kisi aur se likhwata h....dubeyji ne jab yeh kahani suniye toh...uas mein ramdin aakhir mein maar raha tha....par anth mein dubry ji ne aafat taale de....aur ramdin hamare saath h.....darwaza ka intezarr h sir
अमिताभ भाई ,
अमां मिंया क्या लिखते है आप ...
1979 में स्काई लैब का गिरना ... यानी आसमानी आफत ...
रामधीन की कहानी ... बहुत खूब ....
आज समय निकाल कर तीनों किस्त चाट डाली ...
क्या कहानी लिखी है आपने ... मैंने भी यह कहानी खूब सुनी है ...
घटना के समय मैं एक साल का रहा होगा ... मुझे भी कुछ -कुछ याद है...
पूजा, नोटों की चाय पीना ...
उमरानाला , तन्सरामाल सब जगह यह
खूब सुनी जाती है ...
स्काई लैब गिरने की खबर ने खूब सनसनी फैलायी थी। उस समय संचार तंत्र इतना मजबूत नहीं था जिसकी वजह से गाव, देहात के लोगों को इसकी ज्यादा कुछ जानकारी नहीं हो पायी थी।
फ़िर भी अखबार ... रेडियो ... ने कुछ लोगों के मन में डर भर दिया था उनमें से एक रामधीन भी है ...
पिछले दिनों की घटना याद कीजिये ...
कितने दिनों से पढ़ रहे थे कि 10 सितम्बर को महाप्रलय होने की सम्भावना है |
आख़िर हुआ कुछ भी नहीं ...
1979 में भी कुछ ऐसा ही महौल बना था| बहाना था स्काई लैब के गिरने का | वैज्ञानिक भी बता नहीं पा रहे थे कि कहाँ गिरेगी | सभी तरफ कुछ ऐसी ही चिंता का नजारा होता था| स्काईलैब को लेकर कई जोक्स भी चल पड़े थे | आखिर जाकर वह गिरी हिंद महासागर और आस्ट्रेलिया में | हम बच गए|
मई 1973 में अमरीका ने पहले अंतरिक्ष स्टेशन "स्काई लैब" का प्रक्षेपण किया था। उसी समय हुई कुछ गलतियों के कारण 6 वर्ष बाद जब उसे वापस लाने की नौबत आई, तो वापसी तय प्रक्रिया में सम्भव नजर नहीं आई। अत: पृथ्वी पर आने के पूर्व ही उसे हिन्द महासागर के ऊपर विस्फोट से उड़ाने की योजना बनी। तब न जाने कितने स्थानों के बारे में कहा गया कि वहां 77.5 टन भार के इस अंतरिक्ष स्टेशन का मलबा गिरने से तबाही मचेगी। खूब खौफ फैलाया गया, लेकिन जब 11 जुलाई 1979 को यह विस्फोट हुआ, तो मलबे से कहीं जान-माल को कोई नुकसान नहीं हुआ।
RAMKRISHNA DONGRE
http://chhindwara-chhavi.blogspot.com
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