मंगलवार, 13 जनवरी 2009

ऍफ़ एम् (भाग चार )

" मोहित बारबर "

सारा
दिन धूप की आँख मिचोली चलती रही । मन ही मन तृष्णा भी अंजुम के साथ एक तरफा प्रेमी की तरह आँख मिचोली करता रहा । फिजिक्स के प्रेक्टिकल नही हो पाए हिन्दी की क्लास के बाद तृष्णा स्कूल से बाहर गया स्कूल के पास मोहित नाई की दुकान पर बैठकर उसने कुछ देर अख़बार पढ़ा अपनी डायरी में उसने कुछ नोट्स लिखे अख़बार से खास जानकारियां अपनी डायरी में लिखना तृष्णा का शौक था फ़िर कुछ देर शीशे में अपने बाल निहार कर केश सज्जा कर वो घर की तरफ बढ़ गया

स्कूल के ठीक सामने अनिल कपूर ,संजय दत्त शाहरुख़ खान आमिर खान और सलमान खान के पोस्टर और बड़े बड़े हर्फो में लिखी "न्यू मोहित हेयर सलून " की दुकान ....उमरानाला स्कूल के लड़कों का मनपसंद अड्डा थी । स्कूल के लड़कों का झुंड का झुंड मोहित के सलून में जमघट लगाये रहता था । मोहित नाई की दुकान की दीवारे दिव्या भारती ,माधुरी, रवीना टंडन,नग्मा और कई फिल्मी तारिकाओं के पोस्टर से अटी पडी थी । साथ ही कुछ हेयर स्टाइल को दिखाते कुछ पोस्टर भी लगे थे । मोहित की दुकान में स्कूल के लड़कों को फैशन के नए नए गुर मिलते थे । मोहित नाई ख़ुद भी बहुत फेशनेबुल था . तरह तरह के हेयर स्टाइल वो ख़ुद भी आजमाता था . गाँव में संजू बाबा की तरह लंबे बालों का फैशन उसी ने शुरू किया था .कुछ आशिक मिजाज़ लड़कों के लिए नैन मटक्के के लिहाज़ से मोहित की दुकान आदर्श जगह थी . जाम रोड ,एम् पी ई बी रोड ,बस स्टेंड हिवरा रोड से आने जाने वाली लड़कियों का नज़ारा इस दुकान से बखूबी हो जाता था . मोहित को भी स्कूल की लड़कियों के चर्चे सुनाने में मज़ा आता ...लेकिन तृष्णा से मोहित की दोस्ती कुछ बौद्धिक तरह की थी ...मोहित भी एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ छिदवाडा ऍफ़ एम् का दीवाना था ...तृष्णा उसकी दुकान में अख़बार पढने रोज़ नियम से जाता था . कभी कभार वो मोहित के नाम से भी फिल्मी गानों की फरमाइश भेज देता था ...मोहित खुश होकर उसे चाय भी पिला देता ...

सात सवाल कार्यक्रम शुरू होने में अभी पूरे एक घंटे का वक्त बाक़ी था अपनी साइकल पर तृष्णा मस्ती में घर जा रहा था रास्ते में उसे अंजुम भी मिल गई अंजुम ने उससे पुछा तुम प्रेक्टिकल किस किताब से लिख रहे हो तृष्णा ने उससे कहा युगबोध प्रकाशन की किताब मेरे पास है तुम फ़िक्र मत करना मुझसे किताब ले लेना रास्ते में स्कूल की बातें हुई अंजुम ने उसे बताया आजकल पढ़ाई नही हो प् रही है परीक्षा सिर पर है मुझे कुछ भी नही सूझ रहा है प्रेक्टिकल खत्म हो जाए तो कुछ दिन घर पर ही में पढ़ाई कर लूँ तृष्णा ने कहा मैं भी ऐसा ही सोचता हूँ लेकिन कर भी क्या सकते हैं

आजकल
स्कूल में काफी समय जाया हो जाता है तृष्णा ने उसको कहा आज सात सवाल ज़रूर सुनना अंजुम ने कहा हाँ ....घर पर यदि वक्त मिला तो ज़रूर सुनूंगी .... धीरे धीरे दोनों तन्सरा के टेक पर गए तृष्णा ने चलते चलते मन ही मन " दीवाने शाह बाबा की दरगाह " पर प्रणाम किया ...और मन ही मन कामना की बाबा आज मेरा नाम विजेता के रूप में जाए तृष्णा घर गया ... किताबों को टेबल पर रख कर ...तृष्णा ने पहले बाड़े में जाकर गाय को चारा पानी दे दिया। अभी से चारा पानी क्यों कर रहा है अंदर से आवाज़ आई । तृष्णा सात सवाल प्रोग्राम इत्मिनान से सुनना चाह रहा था । इस प्रोग्राम को सुनते हुए किसी भी तरह का विघ्न उसे गवारा नही था । गाय को चारा पानी देने के बाद ...घर के अन्दर आके .. तृष्णा ने रेडियो चालू कर दिया ..खर खर्र खर... रेडियो में कुछ खरखराहट हो रही थी तृष्णा ने रेडियो के एंटीना से एक लंबा तार बाँध दिया ..आवाज़ कुछ देर के लिए साफ़ हो गई .... लेकिन फ़िर खर खर ....पाँच बज चुके थे ....तृष्णा रेडियो के साथ ज्यादा छेड़ छाड़ करने के मूड में नही था ...लेकिन एंटीना का लम्बा तार हवा के झोंको के साथ रेडियो की आवाज़ को बेसुरा कर रहा था ... ये आकाशवाणी का छिंदवाडा केन्द्र .....खर्र खर ..तृष्णा ने रेडियो भर्र एक बार ज़ोर के ठोंका ... आज सात सवाल कार्यक्रम .... खर खर्र ...भर्र भररर ....

तभी
बिजली गुल हो गई ..हे भगवान ये क्या हो रहा है ....तृष्णा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को गाली दी इसके राज में बिजली भी नही मिलती sss सात सवाल प्रोग्राम शुरू हुए बीस मिनिट हो चुके थे ... बिजली नही आई .... तृष्णा ने रेडियो चालू करने के लिए सेल निकाले ... रेडियो में सेल डालते ही गाना रुक जाना नही तू कभी हार के sss काटों पर चल के मिलेंगे साये बहार के SSS बज रहा था .... दोस्तों इस प्यारे से गीत के बाद ... खर्र खर ...(जारी है )

1 टिप्पणी:

Chhindwara chhavi ने कहा…

कहानी तृष्णा की - तिलिस्म सात सवाल का,

अब धीरे -धीरे अपने शबाब पर आने लगी है . अमिताभ भाई ने इस कहानी में मेरी जिंदगी के कुछेक जाने -अनजाने किरदारों को भी सामने लाने का प्रयास किया है .

इसके लिए उनका तो तहेदिल से शुक्रिया .

पर साथ ही उन किरदारों से माफ़ी भी. जिनसे मैंने कभी नाम उजागर ना करने का वादा किया था .

कहानी अभी कई मोड़ से गुजरेगीं .
कह सकते है ...

तृष्णा की कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त ....
सभी को शुक्रिया ....

आपका ही
तृष्णा
http://dongretrishna.blogspot.com