शुक्रवार, 23 जनवरी 2009

ऍफ़ एम् (भाग छः )

जन्म दिन


एक सौ दो दशमलव दो मेगा हर्ट्ज़ आकाशवाणी के छिदवाडा केन्द्र में तृष्णा के इंटरव्यू का दिन तय हो गया । इधर स्कूल में छब्बीस जनवरी के जलसे के तैयारी भी अपने चरम पर थी । साइंस टीचर ने एक तरह से बारहवी क्लास के स्टुडेंट को अपनी तरफ से छुट्टी दे दी । तृष्णा स्कूल से जल्दी घर चला जाता था । स्कूल में ढेर सारे इवेंट हो रहे थे । कभी स्पोर्ट्स तो कभी वाद विवाद ,प्रश्न मंच ...आदि आदि । वैसे साइंस टीचर्स ने छुट्टी इस लिहाज़ से दी थी की स्टूडेंट्स इस समय का उपयोग घर में अपने प्रेक्टिकल प्रोजेक्ट बनने के लिए करे .... तृष्णा के दिलो दिमाग पर कुछ और ही प्रोजेक्ट चल रहा था । सात सवाल के तिलस्म को तोड़ लेने के बाद वो दिल की पहेली को सुलझना चाहता था । वो और अंजुम करीब आ रहे थे । स्कूल से दोनों जल्दी साथ में घर के लिए निकल जाते थे । दोपहर के वक्त उमरा नदी के सुनसान से पुल पर ...अंजुम और तृष्णा दुनिया ओ दारी से तन्हा गुजरते थे । तृष्णा दिल ही दिल में अंजुम को कक्षा आठ से ही चाहने लगा था ..लेकिन अपने प्यार के इज़हार से वो हमेशा डरता था ।
रेडियो में बजने वाले रोमांटिक गीत उसके ज़ज्बातों के तूफ़ान को हवा देते थे । और फिल्मो के शौक ने तो जैसे उसके जीवन में एक अलग रंग भर दिया था । आशिकी ,सड़क, मैंने प्यार किया दिल है की मानता नही ....जैसी फिल्में वो कई बार देख चुका था । प्यार के इज़हार का कोई सूत्र उसे मालूम नही था । अंजुम का जन्म दिन २४ जनवरी को आता है .... उसे लगा अपनी वफ़ा के इज़हार के लिए यही दिन सबसे अच्छा होगा । उसकी रातो की नींदे उड़ रही थी । फ़िर इस मामले में गाँव के अपने कुछ बेहद करीबी दोस्तों से उसने इस बारे में बात की ।
सलाहे ढेर सी आई ..लेकिन उसे सागर की सलाह ही ठीक लगी । सागर ने कहा जन्म दिन का एक खूबसूरत सा कार्ड और एक इजहारे वफ़ा का ख़त दोनों साथ में दे दो ..फ़िर देखते है क्या होता है । कल तुम इंटरव्यू रिकॉर्ड करवाने छिंदवाडा जा ही रहे हो । वहीं शहर की दुकान से एक अच्छा सा कार्ड ले लेना । अगले दिन तृष्णा ने गोल गंज में गुप्ता की ग्रीटिंग कार्ड की दुकान से एक कार्ड लिया ..महकते फूलो की खुशबू वाला कार्ड ...कार्ड पर दो दिल एक होके धडक रहे थे । तृष्णा का दिल भी कार्ड के साथ साथ धड़कने लगा ...(जारी है )

1 टिप्पणी:

Chhindwara chhavi ने कहा…

दोस्तों नमस्कार,

मैं तृष्णा बोल रहा हूँ ...

ऍफ़ एम् कहानी का किरदार .

शाम के पाँच बज चुके है . मेरे ऑफिस जाने का वक्त हो गया है . मगर मैं अमिताभ भाई का आदेश टाल नहीं सका.

कहानी की इस पोस्ट को देखा ... इससे पहले अंजुम को जन्मदिन की मुबारक बाद भी दी ... मगर दिल अब भी भरा हुआ है ... जैसे कोई गुबार है जो बाहर आना चाहता है ...

अंजुम के लिए सिर्फ़ यहीं

दोस्ती ता-उम्र बरक़रार रहे
या खुदा जब तक संसार रहे .

तुम्हारा
रामकृष्णा