शुक्रवार, 20 मार्च 2009

जनतंत्र का डमरू जनतंत्र का जंतर

"जनतंत्र का डमरू जनतंत्र का जंतर "
आबाजी (दादाजी)

चुनाव के रंग बिरंगे इस महा पर्व में उमरानाला गाँव की गलियां चुनावों के रंग में गुलज़ार है। वोट कहानी जो इस ब्लॉग पर विधानसभा चुनाव २००८ के समय शुरू हुई थी ...उसके विस्तार का माकूल समय आ गया है । उमरानाला की गलियों में यहाँ दिल्ली से बैठकर चुनाव उसके हर रंग को देखने की एक छोटी सी कोशिश है ..."जनतंत्र का डमरू जनतंत्र का जंतर ...."आशाएं ,उम्मीदें ,हम सबके ख्वाब चुनाव के समय जैसे इन्हे नए पंख मिल जाते हैं । दीवारों पर नारे पोस्टर बैनर पार्टियों के घोषणा पत्र । उमरानाला में बचपन से ही चुनाव के इस माहौल को करीब से देखा और महसूस किया है ।
बड़े बड़े नेताओं की जन सभाओ को देखा । गाँव के भोले भाले सपने भी देखे । आज जैन दादाजी की याद आ रही है । जिन्हें हम सभी प्यार से " आबाजी " कहते थे । मराठी में दादा के लिए आबा शब्द का प्रयोग होता है । चुनाव के वक्त जैन दादाजी की दवाईयों की दुकान में अखबार की तादात बढ़ जाती थी ...वो
पढने के बेहद शौकीन थे । अख़बार पत्रिकाएं रेडियो टेलिविज़न चुनाव की हर ख़बर पर वो पैनी नज़र रखते थे ।
उनका एक विशेष दल से लगाव था । उनकी सोच में छोटे बड़े हर मुद्दे होते थे । लोगो की भीड़ ...छोटे बड़े नेताओं का जमावडा चाय की चुस्कियां और चुनाव के हर रंग । देश कहाँ जा रहा है ... गर्मियों के समय रात में खाने के बाद मैं अक्सर उनकी राजनैतिक चर्चाओं का हिस्सा बन जाता था ।
एक बार उन्होंने कहा था ...हमारे देश में इलेक्शन नही सलेक्शन होना चाहिएएक दल विशेष से लगाव होने के बावजूद वो उम्मीदवार की व्यक्तिगत छबी को हमेशा ध्यान में रखते थे ।
गाँव की गलियों में सब कुछ बदल रहा है । चुनाव भी बदले ...ठप्पा ईवीएम मशीन में बदल गया । बटन दबाकर नेताओं की तकदीरों के फैसले होने लगे हैं ... लेकिन आज भी चुनाव और उसको लेकर उत्साह जस का तस् है । हमारे गाँव में अधिकांश लोग कृषि से जुड़े हैं । खेतों में खलियानों से चुनाव की फिजा बहती है । "जनतंत्र का डमरू जनतंत्र का जंतर "में हम हमारे देश के महान लोकतंत्र को उमरानाला की इन्ही फिजाओ से महसूस करने की कोशिश करेंगे । उमरानाला पोस्ट को एक साल पूरे हो गए हैं । और अब लगता है ...जैसे मेरा यह छोटा सा गाँव महज एक भूगोल नही है ...इसका विस्तार हो चुका है । उमरानाला ग्लोबल बन गया है । जिसके सीमांत अब लकीरों में नही ..बल्कि हम सब के भीतर कहीं न कहीं बसते हैं !!!

5 टिप्‍पणियां:

PD ने कहा…

bilkul ji.. ab yah global ho gaya hai.. :)
1 sal poora karne par badhayi ho..

Unknown ने कहा…

इलेक्शन नही सलेक्शन होना चाहिए ......lekin selection kaise ho......jaha rejection par zor ho....aao iss par discuss karte h

Chhindwara chhavi ने कहा…

sachmuch global ho gaya hai umranala.

humaara umranala.

jay ho umranala.

Unknown ने कहा…

HAI AM ARJUN
FROM :- GUJRAT

BUT LIVE IN RAJEGAON
ELECTION KA KYA HO RHA HAI

Unknown ने कहा…

HAI AM ARJUN
FROM :- GUJRAT

BUT LIVE IN RAJEGAON
ELECTION KA KYA HO RHA HAI