"जनतंत्र का डमरू जनतंत्र का जंतर "
आबाजी (दादाजी)
बड़े बड़े नेताओं की जन सभाओ को देखा । गाँव के भोले भाले सपने भी देखे । आज जैन दादाजी की याद आ रही है । जिन्हें हम सभी प्यार से " आबाजी " कहते थे । मराठी में दादा के लिए आबा शब्द का प्रयोग होता है । चुनाव के वक्त जैन दादाजी की दवाईयों की दुकान में अखबार की तादात बढ़ जाती थी ...वो
पढने के बेहद शौकीन थे । अख़बार पत्रिकाएं रेडियो टेलिविज़न चुनाव की हर ख़बर पर वो पैनी नज़र रखते थे ।
उनका एक विशेष दल से लगाव था । उनकी सोच में छोटे बड़े हर मुद्दे होते थे । लोगो की भीड़ ...छोटे बड़े नेताओं का जमावडा चाय की चुस्कियां और चुनाव के हर रंग । देश कहाँ जा रहा है ... गर्मियों के समय रात में खाने के बाद मैं अक्सर उनकी राजनैतिक चर्चाओं का हिस्सा बन जाता था ।
एक बार उन्होंने कहा था ...हमारे देश में इलेक्शन नही सलेक्शन होना चाहिए । एक दल विशेष से लगाव होने के बावजूद वो उम्मीदवार की व्यक्तिगत छबी को हमेशा ध्यान में रखते थे ।
गाँव की गलियों में सब कुछ बदल रहा है । चुनाव भी बदले ...ठप्पा ईवीएम मशीन में बदल गया । बटन दबाकर नेताओं की तकदीरों के फैसले होने लगे हैं ... लेकिन आज भी चुनाव और उसको लेकर उत्साह जस का तस् है । हमारे गाँव में अधिकांश लोग कृषि से जुड़े हैं । खेतों में खलियानों से चुनाव की फिजा बहती है । "जनतंत्र का डमरू जनतंत्र का जंतर "में हम हमारे देश के महान लोकतंत्र को उमरानाला की इन्ही फिजाओ से महसूस करने की कोशिश करेंगे । उमरानाला पोस्ट को एक साल पूरे हो गए हैं । और अब लगता है ...जैसे मेरा यह छोटा सा गाँव महज एक भूगोल नही है ...इसका विस्तार हो चुका है । उमरानाला ग्लोबल बन गया है । जिसके सीमांत अब लकीरों में नही ..बल्कि हम सब के भीतर कहीं न कहीं बसते हैं !!!
5 टिप्पणियां:
bilkul ji.. ab yah global ho gaya hai.. :)
1 sal poora karne par badhayi ho..
इलेक्शन नही सलेक्शन होना चाहिए ......lekin selection kaise ho......jaha rejection par zor ho....aao iss par discuss karte h
sachmuch global ho gaya hai umranala.
humaara umranala.
jay ho umranala.
HAI AM ARJUN
FROM :- GUJRAT
BUT LIVE IN RAJEGAON
ELECTION KA KYA HO RHA HAI
HAI AM ARJUN
FROM :- GUJRAT
BUT LIVE IN RAJEGAON
ELECTION KA KYA HO RHA HAI
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