इलाके में मोतीराम की चुनावी लहर चल निकली । एक लहर पूरे इलाके में बह रही थी । मोतीराम के नाम से अख़बार भी रंगने लगे। अख़बार में ख़ुद की ख़बरों को देख कर मोतीराम को अपने आप पर हैरानी होती थी । केशव बड़ी समझदारी से नेताजी के लिए चुनावी बिसात पर चाले चल रहा था । एक शाम छिंदवाडा गल्ला मंडी में व्यापारियों के बड़े नेता भज्जुमल की फूलछाप पार्टी के उम्मीदवार और प्रदेश के मंत्री चंदरलाल से कहा सुनी हो गई । भज्जुमल की इज्ज़त पूरा व्यापारी समाज करता था । भज्जुमल की एक आवाज़ पर व्यापारियों के नोट और वोट किसी भी उम्मीदवार का समर्थन करते थे । मंत्री चंदरलाल ने भज्जू को सरे आम अपमानित करके एक तरह से मुसीबत मोल ले ली । केशव वकील ने उसी रात गल्लामंडी में मोतीराम की चुनावी सभा करवाई । भज्जू लाल पूरे व्यापारियों के साथ मोतीराम के पक्ष में आ गए ।
व्यापारियों के मोतीराम के समर्थन में आगे आ जाने से फूलछाप और हाथ के निशान वाली बड़ी पार्टियों में चिंता की लकीरे बढ़ गई । मोतीराम की लोकप्रियता बढती जा रही थी .यही बात उसके विरोधियों को परेशान करने लगी । उमरानाला में तो जैसे बड़ी पार्टियों के लिए काम करने वालों का अकाल सा पड़ गया । इक्की दुक्की सभाओं को छोड़कर बड़ी पार्टियों की चुनावी सभा भी इलाके में नही हो रही थी । मोतीराम के खिलाफ कोई मुद्दा उनको नही मिल पा रहा था । मोतीराम के खिलाफ मुद्दा मिलता भी तो कैसे ? मोती तो एक सीधा साधा गरीब आदमी था ।
लेकिन प्यार और ज़ंग में सबकुछ जायज के सिद्धांत पर काम करते हुए विरोधी पार्टियों ने मोतीराम के खिलाफ झूठ का पुलिदा खोलना शुरू कर दिया । मोतीराम के चरित्र पर विरोधी सवाल उठाने लगे । दरअसल ,मोतीराम के चुनाव प्रचार में उमरानाला की सरपंच पंखी बाई उसके साथ साथ घूम रही थी । पंखी और मोती के रिश्ते को लेकर झूठे पर्चे जगह जगह बाटे जाने लगे । मोती और पंखी का रिश्ता क्या है ? मोतीराम पंखी शर्म करो के नारे दीवारों पर रंगने लगे । मोतीराम इस तरह के झूठे आरोपों से काफी आहत हुआ .लेकिन केशव वकील और ख़ुद पंखी ने उसे समझाया राजनीति में तो यही सब होता है .तुम केवल चुनाव को देखो और सोचो। उन उम्मीदों को देखो सोचो जो लोगो ने तुमसे लगा रखी है । चुनाव प्रचार दिन भाई दिन गन्दा होने लगा । मोतीराम बहुत सीधा और सरल आदमी था । दुष् प्रचार की गंदगी उसे लगातार आहत कर रही थी । लेकिन लोगो की उम्मीदें उसे इस संघर्ष में लड़ने का हौसला दे रही थी । मोतीराम जीत की तरफ तेज़ी से बढ़ रहा था । उसके नाम की लहर चल रही थी । मोतीराम के कई रिश्तेदार जो मुफलिसी में उससे कन्नी काट लेते थे .वो भी उसके पास आने लगे थे । मोतीराम को अपनी ताकत का एहसास होने लगा था ।
चुनाव प्रचार का शोर खत्म हो गया । मोतीराम को पूरे प्रचार के दौरान विरोधियों द्वारा पंखी का नाम उछालना सालता रहा। उसने पंखी से इस बात के लिए क्षमा भी मांगी .और उससे विवाह का प्रस्ताव भी रखा। मतदान से ठीक एक दिन पहले उसने पंखी से शादी कर ली । केशव वकील ने और अख्तर ने उसका पूरा साथ दिया । मोतीराम ने पंखी से कहा ये शादी मैं किसी मजबूरी में नही कर रहा हूँ । पंखी उसकी ईमानदारी की कायल थी । उसने उसे जिंदगी की हर लडाई साथ में लड़ने का वचन दिया ।
और मतदान का दिन आ गया । मोतीराम के पक्ष में भारी मतदान हुआ । मतगणना वाले दिन भोर में ही मोतीराम और पंखी बजरंगबली के मन्दिर में पूजा अर्चना के बाद अपने दल बल के साथ छिंदवाडा रवाना हो गया । दोपहर तक परिणाम आ गए मंत्री चंदरलाल की ज़मानत जब्त हो गई .मोतीराम भारी मतों से विजयी हुआ । इलाके में मोतीराम की जीत का जश्न लोग मनाने लगे । वकील केशव ने मोतीराम से कहा प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा आई है । तुम चाहो तो मंत्री भी बन सकते हो ।
मोतीराम ने विनम्रता से कहा जैसा जनता चाहे ,ये जनता की जीत है । और उमरानाला बस स्टेंड से एलान किया की जनता की सेवा के लिए उचित दल की सरकार बने हम यही चाहते है । और क्षेत्र के विकास के लिए हम सरकार में भी शामिल होंगे । मोतीराम की जयकार होने लगी । गाँव की भोली जनता मिनिस्टर मोती का सपना देखने लगी ...(समाप्त)
(तस्वीर :आर के लक्ष्मण कामन मेन )
1 टिप्पणी:
wah bhaiya .... maja aagya...!
एक टिप्पणी भेजें